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वित्त विभाग के अधिकारियों को दिए गए राजस्व बढ़ाने के निर्देश

बीकानेर। किसानों की कर्जमाफी की घोषणा पर आने वाले वित्तीय भार ने सरकार को चिंता में डाल दिया है। लिहाजा अब सरकार ज्यादा से ज्यादा राजस्व अर्जन करने की जुगत में लग गई है।

कुछ दिनों पहले वित्त विभाग के प्रमुख सचिव निरंजन आर्य की अध्यक्षता में हुई वित्त विभाग की उच्च स्तरीय बैठक में वाणिज्यिक कर विभाग, आबकारी विभाग तथा पंजीयन और मुद्रांक विभाग को राजस्व अर्जन के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सौ दिनों की कार्ययोजना बना कर लक्ष्यों को पूरा करने के निर्देश जारी किए गए हैं। क्योंकि इन तीनों विभागों से ही सरकार को तकरीबन 50 हजार करोड़ रुपए का राजस्व मिलता है।

सूत्रों के अनुसार किसान कर्जमाफी के बाद सरकार का वित्तीय प्रबंधन पूरी तरह से गड़बड़ाने की संभावनाएं व्यक्त होने लगी हैं। ऐसे में अब वित्त विभाग के अधीन राजस्व अर्जन वाले ये तीन बड़े विभाग अब सौ दिनों की कार्ययोजना पर काम कर रहे हैं, जिसमें तय समय पर इन विभागों से राजस्व अर्जन के लक्ष्यों को किया जा सके।

जानकारी के मुताबिक सरकार को सालाना मोटा राजस्व वाणिज्यिक कर विभाग से मिलता है। इस विभाग से सरकार को सालाना 35 हजार करोड़ रुपए, आबकारी से सात हजार करोड़ रुपए और पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग से सरकार को साढ़े चार हजार करोड़ रुपए का राजस्व मिलता है, लेकिन आबकारी को छोड़ बाकि इन दोनों विभागों में हर बार राजस्व अर्जन के लक्ष्य पिछड़ जाते हैं और अंतिम समय राजस्व अर्जन के लक्ष्य सरकार को कम दिखाने पड़ते हैं। वहीं अन्य सभी राजस्व अर्जन वाले विभागों को भी राजस्व अर्जन के लक्ष्य पूरे करने के निर्देश भी वित्त विभाग ने दिए हैं।

तीन महीने में पेश करना है बजट

सरकार से जुड़े लोगों के मुताबिक तीन महीनों बाद ही सरकारको बजट पेश करना है। वहीं लोकसभा चुनाव तक सरकारी योजनाओं के लिए बजट भी नियमित तौर पर देना होगा।

ऐसे में अब राजस्व अर्जन का पूरा दारोमदार वित्त विभाग पर है और विभाग को सालाना लक्ष्य पूरे करते हुए वाणिज्यिक कर विभाग, आबकारी और पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग से लगभग 50 हजार करोड़ रुपए का राजस्व मिलना है, लेकिन हर बार ढिलाई के चलते विभाग राजस्व के तय लक्ष्यों की पूर्ति नहीं कर पाता है।