बीकानेर। एक तरफ जनता कोरोना से त्रस्त हो चुकी है वही दूसरी ओर केंद्र व राज्य के पेट्रोलियम उत्पाद के बढ़ते दामों को लेकर चल रही खींचतान से जनता पूरी तरह से त्रस्त होती नजर आ रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों में वृद्धि होने का सिलसिला देखते हुए आगे भी आम जनता को इन दोनों उत्पादों की महंगाई से राहत मिलने के आसार नहीं है। राहत इसलिए भी नहीं मिलेगी कि इन दोनों उत्पादों पर शुल्कों की दर घटाने को लेकर केंद्र व राज्य सरकारों के बीच कोई सहमति नहीं बन पा रही है। शुल्क दर घटाने को लेकर कॉग्रेस शासित व भाजपा शासित राज्य भी केंद्र के सुझाव को मानने को तैयार नहीं है। राज्यों की मांग है कि पहले केंद्र की तरफ से उत्पाद शुल्क में कटौती की जाए तब वे भी अपनी शुल्कों की दरों को घटाएंगे। केंद्र को डर है कि अगर उसने अपने स्तर पर एक बार शुल्क घटा दिया तो राज्य फिर अपने वादे से मुकर जाएंगे।
जनता को कैसे मिलेगी राहत?
जनता को राहत तभी मिलेगी जब केंद्र और राज्यों की तरफ से लगाये जाने वाले टैक्स की दरों में कमी हो। उक्त सूत्रों के मुताबिक शुल्क घटाने को लेकर केंद्र व राज्यों के बीच भरोसा कायम नहीं हो पा रहा है। केंद्र की तरफ से इस मुद्दे को अलग अलग स्तर पर राज्यों से उठाया जा रहा है लेकिन राज्य यह कह रहे हैं कि पहले केंद्र सरकार की तरफ से पहल हो। जबकि केंद्र का यह मानना है कि अगर उसने शुल्क घटा दी तो राज्य फिर वैट की दरों को नहीं घटाएंगे।
आगे कीमत के और बढ़ने की संभावना
सरकारी सूत्रों का कहना है कि पेट्रोलियम मंत्रालय का आकलन है कि निकट भविष्य में क्रूड की कीमतों में कमी आने वाली नहीं है। भारत सरकार तेल उत्पादक देशों के संगठ (ओपेक) के साथ लगातार संपर्क में है लेकिन बात नहीं बन रही है। भारत ने हाल ही में अमेरिका से काफी तेल खरीदना शुरु किया है लेकिन हाल के महीनों में अमेरिकी क्रूड की कीमत खाड़ी देशों के बाजार से ज्यादा तेजी से महंगा होने लगा है। आगे कीमत के और बढ़ने की संभावना देख भारतीय तेल कंपनियों ने आन स्पॉट क्रूड ज्यादा खऱीदनी शुरु कर दी है। लेकिन इससे आम जनता को राहत नहीं मिलेगी।