बीकानेर। शहर विधायक व राज्य जलदाय ऊर्जा मंत्री शहर की लम्बे समय से रेल फाटकों की गंभीर समस्या के समाधान के लिए एक बार फिर सक्रिय हो गए है। इस सक्रियता में उन्हें बीकानेर के सांसद जो केंद्र सरकार में मंत्री भी है उनका सहयोग मिलने का विश्वास मान कर चल रहे है जबकि इस समस्या के समाधान के लिए राजस्थान के लोकप्रिय मुख़्यमंत्री समय समय पर बीकानेर के हितो का ध्यान रखते हुवे अपने पिछले कार्यकाल के समय भी बीकानेर को 200 करोड़ का बजट उपलब्ध करवाया था।

उ.प रेल्वे के महाप्रबंधक व डॉ कल्ला

जिसमे रेल फाटक की समस्या के समाधान के लिए करीब 63 करोड़ बजट में दिए थे तब भी डॉ कल्ला लालबत्ती के धनि थे व उनके बड़े भाई बीकानेर शहर कांग्रेस के कप्तान थे। समय बीता और कांग्रेस की सरकार चली गयी और राज्य सरकार की कमान महारानी राजे के हाथ में आ गयी। महारानी ने गहलोत सरकार के 200 करोड़ से ऊपर के बजट से बीकानेर के सूरसागर की समस्या का समाधान बिना किसी रोक टोक पूरा होने दिया और इस कार्य की वाहवाही लेने में भी सफल रही, परन्तु रेल फाटक की समस्या में कोई रूचि नहीं दिखाई और आज यह समस्या भी ज्यो की त्यों खड़ी है और गहलोत सरकार द्वारा दिया गया रेल फाटक समस्या का बजट भी अन्य जगहों पर खपा दिया। सोचने वाली बात यह है कि जिस समय महारानी ने ये बजट अन्य जगहों पर उपयोग किया उस वक्त तक हमारे विधायक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए थे, परन्तु इस बजट के लिए महारानी का बिना विरोध कर कल्ला ने क्यों चुप्पी साधी थी? इसका खामियाजा बीकानेर की जनता तो आज भी भुगत रही है परन्तु कांग्रेस को भी कल्ला बन्धुओ से भी कोई लाभ नहीं मिला। इस भूल का परिणाम कल्ला को 2 बार हार कर भुगतना पड़ा है। देखने वाली बात यह है कि मंत्री जी आज फिर इसी मुद्दे पर सक्रीय हो गये है और आज रेल के महाप्रबंधक को पत्र देकर इस समस्या के समाधान की बात रेल बाईपास के पक्ष में रखी है साथ ही इसी पत्र में महाप्रबंधक को बताया की 26 किमी के प्रस्तावित रेल बाईपास 2009-10 में एमओयू रेल मंत्रालय द्वारा खारिज करने का कारण गलत ठहराया है कल्ला का मानना है की इस समस्या का समाधान केवल रेल बाईपास ही है। अब देखना यह है कि रेल मंत्रालय द्वारा ख़ारिज किये इस प्रस्ताव के समाधान के लिए केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम व डॉ कल्ला को इस मुद्दे के लिए रेलमंत्री के पास नहीं जाते है तब तक इस समस्या का कोई हल नहीं निकलने वाला है।

रेल महाप्रबंधक के स्तर पर प्रयास करना महज शहरवासियो को अंधेरे में रखने के सामान है। ज्ञात रहे पूर्व में भी इस समस्या के समाधान के लिए बीजेपी के वरिष्ठ नेता व कल्ला के प्रतिद्वन्द्वी रहे ओम आचार्य, सोमदत्त श्रीमाली, रिखबदास बोड़ा तब के कांग्रेस अध्यक्ष ललित आजाद, भवानी शंकर शर्मा पूर्व सांसद मनफूल सिंह भादू, गोपाल जोशी बीकानेर संघर्ष समिति के आर.के. दास गुप्ता, पूर्व मंत्री मेहबूब अली ने एकजुटता से इस मुद्दे को रेल मंत्रालय तक पहुंचाया था और फलस्वरुप तात्कालिक रेलमंत्री जी.के जाफर सरीफ ने स्वयं बीकानेर आकर इस समस्या को समझा और फिर रेल बाईपास को मंजूरी भी दी थी। इस स्थिति को समझते हुवे राज्य के मुख्यमंत्री गहलोत ने बजट पारित किया था परन्तु हमारे मूकदर्शक जनप्रतिनिधियो के कारण ये समस्या आज भी जस की तस है। अब देखना हैं कि डॉ कल्ला और अर्जुनराम की जोड़ी इस मुद्दे पर कितनी सार्थक रहती है।