बीकानेर, पश्चिमी राजस्थान की प्यास बुझाने वाली इंदिरा गांधी नहर में एक बार फिर पूर्ण नहर बंदी का वक्त आ गया है। 25 अप्रैल से नहर में पानी पूरी तरह बंद हो जाएगा, जो 19 मई तक बंद रहेगा। ऐसे में इन 26 दिनों में पहले से एकत्र पानी से ही शहरों व गांवों को पीने का पानी देना होगा। इसके बाद पश्चिमी राजस्थान के 10 जिलों में पानी के हालात बिगड़ सकते हैं। 23 अप्रैल से होने वाली नहर बंदी अब 24 अप्रैल से होगी। ऐसे में 25 अप्रैल से हरिके से पानी बंद हो जाएगा। ऐसे में आने वाले दिनों में राजस्थान के दस जिलों को पीने के पानी के लिए संरक्षित स्रोतों से ही काम चलाना पड़ेगा। जिन जिलों ने समय पर पूरा पानी एकत्र नहीं किया है, वहां परेशानी हो सकती है। बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, जोधपुर, बाडमेर, नागौर सहित कई जिलों में इस दौरान जल संकट खड़ा होना तय माना जा रहा है। जलदाय विभाग यहां एक दिन छोड़कर एक दिन पानी देने के साथ ही प्रति दिन पानी की मात्रा भी कम कर सकता है। शहरी क्षेत्र के अलावा गांवों में बड़ी समस्या होने वाली है। दरअसल, नहर के आसपास बसे गांवों में पानी का संकट खड़ा होना तय है। इन गांवों में नहरी पानी से ही सप्लाई होती है और स्टोरेज का कोई खास स्थान नहीं है। ऐसे में पीने का पानी बड़ी समस्या है। गांवों में पानी के टैंकर भी नहीं पहुंच पाते हैं।
किसको कितना पानी?
जोधपुर को साहवा लिफ्ट से 240 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है। इसके अलावा बाडमेर को 50 क्यूसेक, जैसलमेर ग्रामीण को 70 क्यूसेक, जैसलमेर शहर को 30 क्यूसेक, पोकरण को 30 क्यूसेक, नागौर को को 70 क्यूसेक, बीकानेर को 120 क्यूसेक पानी प्रति दिन दिया जाता है। ये पानी नहर बंदी में नहीं मिलने से जल संकट खड़ा होने की आशंका बनी हुई है। वहीं श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ को गंग कैनाल से पानी मिलता है। साहवा से झुंझुनूं, सीकर व चूरू में 113 क्यूसेक पानी दिया जाता है।

बीकानेर में तैयारी
बीकानेर में शोभासर और बीछवाल जलाशय को भरा गया है। जिससे 23 दिन पानी की आपूर्ति हो सकती है। इसके अलावा गजनेर और कंवरसेन लिफ्ट के रास्ते पानी आता रहेगा, जिससे 27 अप्रैल तक पानी मिलेगा। आने वाले 26 दिन तक शहरी क्षेत्र में पानी की कटौती नहीं करने के लिए विभाग ने प्रयास किया है।