जयपुर..छोटे बच्चे… खासतौर पर बच्चियां आस पड़ोस में खेलने जाएं तो उनका ध्यान रखना बेहद जरुरी है। बच्चियों से ज्यादती के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पांच से आठ साल की बच्चियां आसान शिकार हो रही है। शहर में फिर से इस तरह का एक केस सामने आया है जब पांच साल की girl child के साथ ज्यादती की गई है। बच्ची जब रोती हुई घर पहुंची तो मां ने उसे दुलारा प्यार दिया और पूछताछ की तो बच्ची की हालत देखकर दंग रह गई। तुरंत परिवार के सदस्यों को बच्ची की हालत के बारे में बताया और उसके बाद Police को इसकी सूचना दी गई। मामला प्रताप नगर थाना क्षेत्र का है।

पुलिस ने बताया कि पांच साल की बच्ची पास के घर में खेलने जाती थी। वहां अन्य बच्चे भी उसके साथ खेलते थे। वहीं पर रहने वाले Family के बीस वर्षीय सदस्य की नीयत बच्ची पर खराब थी। वह अक्सर बच्ची को टाॅफी देने के नाम पर गोद में उठा लेता था और गंदी हरकतें करता था। मासूम बच्ची को इस बारे में जानकारी नहीं थी। दो दिन पहले Evening के समय वह रोती हुई घर लौटी। उसने मां को बताया कि भैया गंदे हैं। वे रोज टाॅफी देते हैं लेकिन मुझे दर्द करते हैं। बच्ची की मां चैक गई। उसने जब बच्ची को और दुलारा तो बच्ची और जोर से रोने लगी।

बाद में मां ने जांच पडताल की तो पता चला कि बच्ची के साथ ज्यादती की गई है। आरोपी युवक की उम्र बीस वर्ष बताई जा रही है। इस घटना के बाद से वह घर से गायब है। उसकी तलाश की जा रही है। बच्ची का मेडिकल कराया गया है। वह बेहद डरी सहमी है।

छोटे बच्चों के खिलाफ साल में सात हजार से ज्यादा केस
छोटे बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के आंकडे राजस्थान के लिए अच्छे नहीं है। अन्य बड़े राज्यों की तुलना में अपराध को लेकर शांत माने जाने वाले राजस्थान में अब अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध तो हर दिन सामने आ रहे हैं। बच्चों के साथ होने वाले अपराधों में राजस्थान देश में टाॅप 5 में आ गया है। प्रदेश में साल 2020 में 7 हजार 160 अपराध दर्ज हुए हैं। इनमें से अस्सी प्रतिशत से ज्यादा अपराध यौन संबधी अपराध हैं।

बड़ी बात ये है कि इनमें से आधे से भी ज्यादा केसेज में यौन अपराधों को अंजाम देने वाला पीडि़त बच्चों या परिवार का जानकार सदस्य ही होता है। अपराध का शिकार हुए बच्चों की उम्र पांच से पंद्रह साल है। सात हजार से ज्यादा दर्ज केसेज में पांच से पंद्रह साल की उम्र के करीब पांच हजार सात सौ बच्चे हैं। इनमें बालकों की भी संख्या शामिल है। पोक्सो केसेज की अलग अलग धाराओं में ये केस प्रदेश भर के थानों में दर्ज किए गए हैं।