बीकानेर, महिला अधिकारिता विभाग एवं बीकानेर जिला उद्योग संघ के संयुक्त तत्वावधान में “इंदिरा महिला शक्ति कौशल सामर्थ्य योजना” के अंतर्गत एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं अध्यक्ष आर्थिक चिंतक डॉक्टर पी एस वोहरा ने महिला सशक्तिकरण विषय पर अपने विचार रखे साथ ही अपनी पुस्तक (कोरोना काल और आर्थिक मोर्चे के अवरोधक) के सम्बंध में महिलाओं के आर्थिक विकास व आत्मनिर्भरता पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ वोहरा ने कहा कि भारत में महिला आर्थिक विकास तभी सम्भव जब हर महिला, रोज़गार को अपना उद्देश्य बनाएगी। देश की कुल आबादी की 48 प्रतिशत महिलाएँ हैं परंतु सिर्फ़ रोज़गार में संलग्न एक तिहायी ही हैं। भारत की कुल “एमएसएमईज” का मात्र 19 प्रतिशत ही महिलाओं के द्वारा संचालित हो रहा है। महिलाओं का वेतन भी पुरुषों के वेतन का 65 प्रतिशत हैं।”बीएसई व एनएसई” पर लिस्टेड कम्पनीयों में मात्र 9 प्रतिशत महिलाएँ ही उच्च पद पर आसीन है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से दिन-प्रतिदिन कम्प्यूटर के द्वारा ऑटोमेशन हो रहा है इससे वर्ष 2030 तक क़रीब 2 करोड़ ग्रामीण रोज़गारों में संलग्न महिलाओं के सामने बरोज़गारी की समस्या भी खड़ी होने वाली हैं।
डॉ वोहरा ने कहा कि आर्थिक विषमता भारत की बहुत बड़ी और गंभीर समस्या है और इसमें कमी तभी हो पाएगी जब महिलाएं आगे बढ़े और आर्थिक रोजगार को अपनाएं। साथ ही हमें महिलाओं को शिक्षित करने के अलावा उन्हें रोजगार के लिए प्रेरित करने की दिशा में कार्य करना चाहिए क्योंकि समाज में हम देखते हैं कि महिलाएं शिक्षित होने के बावजूद भी एक गृहणी के रूप में ज्यादा देखने को मिल रही है। जब एक देश की महिलाओं का रोजगार में ज्यादा से ज्यादा सलंग्न होना पाया जाता है तो उस देश की आर्थिक रूप से सशक्त होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है और साथ ही निर्भरों की संख्या में भी कमी हो जाती है जिससे एक परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
कार्यक्रम में जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष डी पी पच्चीसिया, जिला उद्योग केंद्र की महाप्रबंधक मंजू नैन गोदारा , महिला अधिकारिता विभाग की उपनिदेशक मेघा रतन, सुरेंद्र जैन, एवंत डागा एवं उद्यमियों की उपस्थित थी। कार्यक्रम में रविंद्र हर्ष ने संचालन किया।