देवेन्द्रवाणी न्यूज,बीकानेर। अंगप्रत्यारोपण के क्षेत्र में महात्मा गांधी अस्पताल ने अब तक कीर्तीमान स्थापित किए है। अस्पताल में एक हार्ट, 50 लिवर 1457 किडनी टांसप्लाट की जा चुकी है। इसके लिए जन जागरूता की आवश्यकता है। यह बात लालगढ़ पैलेस में आयोजित पत्रकार वार्ता में महात्मा गांधी अस्पताल जयपुर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ वी के कपूर ने कही। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी अस्पताल जयपुर ने 22 वर्ष में राज्य में अपनी विशेष पहचान बनाई है। 1450 बेडेड अस्पताल में सामान्य विभागों के अलावा कार्डियोलोजी, कार्डियिक थोरेसिक सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, न्यूरोलोजी, मेडिकल ओंकोलोजी, कैंसर सर्जरी, कैंसर रेडियोलोजी, पैन एवं पेलिएटिय कैंसर, न्यूक्लियर मेडिसिन, नेफ्रोलोजी, यूरोलोजी, गेस्ट्रोलोजी सहित सुपर स्पेशियलिटी के अन्य विभाग संचालित है।पब्लिक अवैयर हो तो अंग प्रत्यारोपण की उम्मीद में जीवन गुजार रहे मरीजों को आशा की एक नई किरण के रूप में महात्मा गांधी अस्पताल एक नई राह दिखा सकता है। आप से मेरी गुजारिश है आप समाचार पत्रों के माध्यम से आर्गन ट्रांसप्लान्ट के क्षेत्र में कांतिदूत बनकर समाज में जन जागरूकता पैदा करें।राज्य में निजी क्षेत्र का महात्मा गांधी अस्पताल जयपुर ऐसा अस्पताल जहां राज्य सरकार द्वारा संचालित चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना एवं आरजीएच के लाभार्थियों का नि:शुल्क उपचार किया जात है। यहां देश के नामवर संस्थान के अनुभवी विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम, नर्सिंग स्टाफ रोगियों की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है। आज यहां हिपेटोलोजी, एचपीबी सर्जरी तथा लिवर ट्रांसप्लान्ट सर्जरी के चिकित्सकों की अनुभवी टीम यहां अपने अनुभव साझा करने के लिए आपके शहर में आई है। आज हिपेटोलोजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ विवेक आनन्द सारस्वत, एचपीबी सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ वीके कपूर, गॅस्ट्रो एन्ट्रोलोजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अजय शर्मा अपने अनुभव साझा नई तकनीक की जानकारी दी।इस अवसर पर एचपीबी सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ वीके कपूर ने कहा लिवर की कुछ बीमारियों के लिए टांसप्लान्ट ही एक मात्र इलाज है। लिवर सिरोसिस, लिवर फैलियर, लिवर कैंसर के भी कुछ मरीजों में टांसप्लान्ट एक सफल इलाज है। टांसप्लान्ट की सफलता दर 80 से 90 प्रतिशत है। टांसप्लांट से मरीज की क्वालिटी ऑफ लाइफ भी काफी इम्प्रूव हो जाती है। टांसप्लान्ट एक बहुत मैजर ऑपरेशन है किसी ऑपरेशन की तरह इसमें रिस्क भी होता है जान का खतरा भी होता है। पर यह खतरा बीमारी के खतरे से काफी कम है। ट्रांसप्लान्ट करने के लिए अनेक स्पेशिलिस्ट और उपकरण की आवश्यकता है। यह सब महात्मा गांधी अस्पताल में उपलब्ध है। लिवर टांसप्लान्ट सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ अजय शर्मा ने कहा पैनक्रियाज के कैंसर बहुत ही घातक कैंसर की क्षेणी में आता है। जो कैंसर ऑपरेशन नहीं हो पाते थे अब उनके लिए कीमो थैरेपी देकर ऑपरेशन करना आसान हो गया है। यह एक सक्षम इलाज हो गया। यह ऑपरेशन पहले बड़े चीरे से होता था अब दूरबीन से संभव हो गया है। सामान्यतय ऐसे मरीजों को चार से पांच दिन रखा जाता है उसका खर्चा भी बहुत कम आता है। पहले बिना कीमोथैरेपी दिए ऑपरेशन किए जाते थे। अब कीमो थैरेपी के बाद ऑपरेशन आसान हो गया है। इस अवसर पर हिपेटोसर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ विवेक आनन्द सारस्वत ने कहा राज्य में महात्मा गांधी अस्पताल लिवर प्रत्यारोपण में अग्रणी है। पहला कैडेबरिक लिवर ट्रांसप्लाट, पहला लिविंग लिवर डोनर ट्रांसप्लांट महत्मा गांधी अस्पताल में ही हुआ। 14 दिसम्बर को अपना 25 वां लिवर टांसप्लान्ट किया। अब तक 50 लिवर टांसप्लान्ट किये जा चुके है। परिणाण विश्वसनीय है। डॉ सारस्वत ने कहा मादक पदार्थों के अधिक प्रयोग, आनुवांशिक रोगों के कारण भी एक्यूट लिवर फैलियर हो सकता है।