बीकानेर। नोखा क्षेत्र में आतातकालीन स्थिति में गंभीर घायलों व मरीजों को इलाज के लिए घर से अस्पताल पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस सेवा लापरवाही की भेंट चढ़ चुकी है। जिन एम्बुलेंस को मरीजों को लाने के लिए रखा गया है, वह पर्याप्त नहीं है। उसमें भी एक एम्बुलेंस बीमार रहती है। ग्रामीण अंचलों में आपातकालीन स्थिति में समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण कई बार मरीजों को जान गंवानी पड़ी है। वहीं गरीब तबके के लोगों को आपात स्थिति में घायलों व गंभीर बीमारों को इलाज के लिए लाने ले जाने के लिए निजी वाहनों को बड़ी राशि चुकानी पड़ती है। घायलों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए नोखा ब्लॉक में कुल 5 वाहन उपलब्ध है, जिनमें से दो कंडम हो चुके हैं। तीन 108 एम्बुलेंस गाड़ी काम कर रही हैं। एक विधायक कोटे से संचालित है।
आबादी के हिसाब से पर्याप्त नही
नोखा तहसील क्षेत्र की करीब 4 लाख से अधिक आबादी है। सुदूर इलाके में स्वास्थ्य सेवाओं को बहाल करने के साथ लोगों को आपात स्थिति में स्वास्थ्य केंद्र तक लाने के लिए वाहन सेवा के नाम पर मात्र तीन वाहन है। नोखा क्षेत्र में तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 10 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 104 उपस्वास्थ्य केंद्र संचालित है। इस तरह नोखा ब्लॉक में छोटे-बड़े सभी 117 स्वास्थ्य केंद्रों में करीब चार लाख से अधिक आबादी निर्भर है। कहने को तो पांच आपात वाहन उपलब्ध कराए हैं। इसमें से दो वाहन खराब है। शेष तीन 108 एम्बुलेंस से ही काम चलाया जा रहा है। उनकी स्थिति भी ज्यादा बेहतर नहीं कही जा सकती है।
बागड़ी रेफरल अस्पताल में चाहिए चार एम्बुलेंस
जिले के ग्रामीण अंचल का सबसे बड़ा अस्पताल नोखा का मांगीलाल बागड़ी राजकीय अस्पताल है। करीब 40 किमी परिधि क्षेत्र में कहीं पर भी हादसा होने पर घायलों को इसी अस्पताल में लाया जाता है। रेफरल अस्पताल होने से आपातकालीन स्थिति में गंभीर घायलों व मरीजों को इलाज के लिए बीकानेर रेफर करने के लिए एम्बुलेंस की जरूरत रहती है। नोखा ब्लॉक में आठ एम्बुलेंस की जरूरत है। वर्तमान में नोखा, पांचू और जसरासर में108 एम्बुलेंस संचालित है। जरूरत पडऩे महावीर इंटरनेशनल, वीरा देवी झंवर संस्थान, नागरिक सेवा संस्थान व अन्य एम्बुलेंस को बुलाया जाता है।
एम्बुलेंस 11 माह से बनी कबाड़
बागड़ी अस्पताल परिसर में 11 माह से खड़ी एम्बुलेंस रखरखाव के अभाव कबाड़ बन चुकी है। वहीं परिसर में मोर्चरी के सामने एक अन्य एम्बुलेंस कंडम हो चुकी है। सूत्रों का कहना है ये दोनों एम्बुलेंस कागजात के अभाव में नीलाम भी नहीं हो पा रही हैं।
निजी एम्बुलेंस का सहारा
अक्सर देखने में आता है कि हादसा होने पर परिजनों व स्थानीय लोगों द्वारा किसी तरह निजी वाहनों से घायलों को बागड़ी अस्पताल में तो पहुंचा दिया जाता है। लेकिन यहां से उनको बीकानेर रेफर करने पर कई बार सरकारी एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाती है। ऐसी स्थिति में निजी एम्बुलेंस से घायल को बीकानेर ले जाया जाता है