बीकानेर। ऊर्जा एवं जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा कि गोबर से खाद व गौमूत्र से कीटनाशक बनाकर जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए, जिससे मानव के स्वास्थ्य की रक्षा हो सकेगी व गौपालकों को आर्थिक स्वावलम्बन प्रदान किया जा सकेगा।

डॉ. कल्ला शनिवार को मुरली मनोहर गोशाला (भीनासर) में राजस्थान गौ सेवा परिषद की ओर से आयोजित, गोबर से जैविक खाद व गोमूत्र से कीटनाशक बनाने के संबंध में राज्य के गोशाला प्रतिनिधियों के लिए एक दिवसीय गोबर-गोमूत्र प्रसंस्करण समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।

डॉ. कल्ला ने कहा कि वर्तमान में कृषि में अधिकाधिक रासायनिक खाद व पेस्टिसाईड्स का उपयोग हो रहा है, जिससे खाद्यान्न अस्वास्थ्यकर हो रहा है तथा इस कारण कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं। कृषि कार्य में गोबर व गोमूत्र के उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी, साथ ही इसका मानव स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। आवश्यकता इस बात की है कि गौशालाओं के संचालकों तथा गौपालकों को जैविक खाद के उत्पादन के लिए प्रेरित किया जाए। इससे गौ-आधारित ग्रामीण आर्थिक व्यवस्था पुनस्र्थापित की जा सकेगी, साथ ही पर्यावरण की रक्षा भी होगी।

इस अवसर पर उच्च शिक्षा राज्य मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि हमें एक बार पुन: पुरातन खेती की ओर जाना होगा। जिस तरह हमारे पूर्वज गोबर की खाद से खेती करते थे और उपज लेते थे उसी तर्ज पर हमें भी गोबर खाद का उपयोग करना होगा। हो सकता है कि इस पुरातन विधि से फसल कुछ कम मिले मगर हमारे स्वास्थ्य पर इसका बेहद सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि गाय माता को हम पूजते आए हैं और गाय को हमेशा देव तुल्य माना है। ऐसे में अगर हम गाय के गोबर और मूत्र का उपयोग और अधिक बेहतर तरीके से करें तो गाय के सम्मान के साथ-साथ इसका हमारे स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति पर भी सकारात्मक प्रभाव होगा।


भाटी ने कहा कि हमारे शहर में ही मोहता रसायनशाला द्वारा गत कई वर्षों से गोमूत्र से बनी विभिन्न दवाइयां बनाकर बेची जा रही हैं और इन दवाइयों से आम लोगों के स्वास्थ्य में गुणात्मक सुधार आ रहा है। अनेक बीमारियां ठीक करने में गोमूत्र अमृत की तरह कार्य करता है। उन्होंने कहा कि रामसुखदास महाराज ने भी गौ सेवा को सबसे बड़ा धर्म बताया था, आज भी उनके अनुयायी गाय माता की सेवा में लगे हुए हैं।

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में नंदी गौशालाओं की स्थापना की जा रही है, इनके बन जाने से आवारा छोड़े जा रहे नंदियों की स्थिति में काफी सुधार होगा। उन्होंने कहा कि हम सबका दायित्व है कि जो गोवंश दूध नहीं देते हैं, ऐसे गोवंश की भी सेवा हम बेहतर तरीके से करें। उन्होंने कहा कि गौशालाओं के विकास और गोवंश की सेवा के लिए हमारे शहर के भामाशाहों ने जो सहयोग किया है, वह अपने आप में एक अनुकरणीय कार्य है।

समारोह में संवित सोमगिरि महाराज ने कहा कि कृषि क्षेत्र का परिदृश्य बदलने के लिए गाय एक महत्वपूर्ण साधन साबित हो सकती है। हमें खेती कार्य में गोबर-गोमूत्र के अधिकाधिक उपयोग और विभिन्न बीमारियों के उपचार हेतु गोमूत्र से बनने वाली दवाइयों का इस्तेमाल करने के लिए आमजन को समझाइश करनी होगी। इस अवसर पर स्वामी दिनेश गिरि ने कहा कि हम सबको मिलकर समाज और शासन में यह बात बतानी होगी कि गोमूत्र से दवा और गोबर से खाद बनाने के अतिरिक्त इसके आगे भी और कार्य करना होगा।

इस अवसर पर नगर निगम महापौर नारायण चोपड़ा, परिषद उपाध्यक्ष रिद्धकरण सेठिया, अरविन्द मिढ्ढ़ा, बाबूलाल गुप्ता, सीताराम सोलंकी, मेघराज सेठिया, अनंतवीर जैन, बनवारी डेलू, अजय पुरोहित, गुलाब गहलोत, डी पी पच्चीसिया, डॉ. त्रिभुवन शर्मा, डॉ. विमला मेघवाल, रघुवीर महाराज, आनंद किरण, प्रकाश सिंह, डॉ. हेमन्त दाधीच, डॉ. जयदीप दोगने, डॉ. इन्द्रमोहन वर्मा, डॉ. एन.एस.दैया, योगेश शर्मा, सुमित कोचर, सहीराम दुसाद, हजारी देवड़ा, भंवर पुरोहित, मोहन सुराणा, सुभाष मित्तल, विजय कोचर सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, गोपालक, कृषक, गोशाला संचालक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन गजेन्द्र सिंह सांखला ने किया।