बीकानेर, बॉर्डर पर पाकिस्तान की तरफ से ड्रोन की घुसपैठ बढ़ने से भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर जैमर लगाकर ड्रोन की उड़ान जाम करने का उपाय गृह विभाग को सुझाया गया है। सुरक्षा एजेंसियों और विशेषज्ञों की राय पर केन्द्र सरकार ने इस दिशा में काम करने वाली कम्पनियों से सम्पर्क साधा है। दरअसल, तस्करों ने मादक पदार्थ और विस्फोटक सीमा पार से भारतीय सीमा में पहुंचाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ा दिया है। देश की पाकिस्तान से लगती करीब 3 हजार 323 किलोमीटर लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा का 1037 किलोमीटर हिस्सा राजस्थान के चार जिलों से सटा है। इसमें भी श्रीगंगानगर से लगती 211 और बीकानेर से सटी 160 किलोमीटर सीमा में ड्रोन से लगातार घुसपैठ हो रही है। खुफिया एजेंसी के अधिकारी ने बताया कि ड्रोन की हार्ड किलिंग कारगार साबित नहीं हो रही। राइफल या लेजर गन से ड्रोन को मार गिराने के लिए समय चाहिए। जबकि घुसपैठ चंद मिनटों में हो जाती है। अब सॉफ्ट किलिंग ही एक मात्र रास्ता है। बॉर्डर पर ऐसे जैमर लगाने पर विचार हो रहा है, जो रेडियो फि्रक्वेंसी के साथ जीपीएस को जाम कर देगा। जल्द ही ट्रायल बेस पर कुछ जगह इसका उपयोग शुरू होगा। इधर, भारत डायनामिक्स लिमिटेड उच्च तकनीक के ऐसे ड्रोन तैयार कर रही है जो टारगेट को उड़ाने वाली कम वजन की मिसाइल से लैस होंगे। इसके बाद पाकिस्तान से घुसपैठ करने वाले ड्रोन को मार गिराना भी संभव हो जाएगा।

बदलती तकनीक…रेडियो फि्रक्वेंसी के बाद जीपीएस

पाकिस्तानी ड्रोन महज पांच मिनट में भारतीय हवाई सीमा में दो किलोमीटर तक अंदर आकर हथियार या मादक पदार्थ के पैकेट खेतों में फेंक जाते हैं। अब ज्यादा वजन उठाने, ज्यादा बैटरी बेकअप के ड्रोन आने लगे हैं। ये रेडियो फि्रक्वेंसी से ऑपरेट होने पर सुरक्षा एजेंसियों ने रेडियो फि्रक्वेंसी को जाम करने की तकनीक पर काम शुरू किया। इसके बाद ड्रोन में जीपीएस ऑपरेट करने की तकनीक आ गई। अब इसे भी जाम करने के लिए जैमर लगाने का विकल्प बचा है। घुसपैठ करने पर ड्रोन का उसके ऑपरेटर से सम्पर्क तोड़ दिया जाएगा। इससे ड्रोन अनियंत्रित होगा। उसे निशाना बनाकर गिराना संभव हो पाएगा।

मौजूदा हथियार…गन और ड्रोन से मुकाबला

अभी ऐसे ड्रोन को रोकने के लिए बीएसएफ जवानों के पास गन है। ड्रोन रात को घुसपैठ करते हैं और ऊंचाई भी 300 मीटर से अधिक होती है। कई बार केवल पंखे की आवाज सुनाई पड़ती है। जिससे अलर्ट जवान राइफल से फायर करते हैं। निशाना तो नहीं लगता लेकिन ड्रोन खदेड़ने में सफल हो जाते हैं। बीएसएफ अपने ड्रोन से भी पाकिस्तानी ड्रोन की निगरानी भी करती है।

लगातार घुसपैठ…दस मिनट का खेल

बीकानेर-श्रीगंगानगर से लगती पाक सीमा पर अप्रेल से अक्टूबर तक पांच बार ड्रोन से गिराई ड्रग्स पकड़ में आ चुकी है। ड्रोन एक मिनट में एक किलोमीटर की रफ्तार से चलता है। अभी पाकिस्तान के तस्कर बीस मिनट बैटरी बैकअप वाले ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं। तस्कर भारतीय सीमा में पैकेट गिराकर ड्रोन को वापस अपनी सीमा में लेकर नीचे उतारने तक पूरा काम दस मिनट में कर लेते हैं। ऐसी तकनीक के ड्रोन भी तैयार हो गए हैं, जिनका ऑपरेटर से सम्पर्क टूटने पर वह वापस उसी जगह चले जाते हैं, जहां से उड़ाया गया।

छह माह में 100 करोड़ की हेरोइन पकड़ी

बीकानेर संभाग में अप्रेल से अब तक भारतीय सीमा में पहुंची 18 किलो 700 ग्राम हेरोइन बीएसएफ व पुलिस पकड़ चुकी है। इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 100 करोड़ रुपए हैं।

तकनीक पर काम चल रहा
ड्रोन की घुसपैठ रोकने के लिए बीएसएफ हर संभव प्रयास कर रही है। फिक्वेंसी और जीपीएस से ड्रोन की डायरेक्शन को कंट्रोल किया जाता है। रडार से ड्रोन को डिटेक्ट करने की कोशिश करते हैं। बॉर्डर पर फिक्वेंसी जाम के लिए जैमर जैसी नई तकनीकों को अपनाने पर भी लगातार काम हो रहा है।