बीकानेर। सावन मास में घरों सहित शिवालयों में सुबह से देर रात तक अभिषेक-पूजन का दौर चलता रहता है। शिवालयों में हर-हर महादेव और बम भोले की गूंज रहती है । रूद्राष्टध्यायी पाठ के वेद मंत्रों के उच्चारण के बीच भोलेनाथ का रूद्राभिषेक, पूजन, श्रृंगार कर महाआरती की जाती है। कई शिवालयों में दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं की कतारें लगी रहती है। शिवभक्तों द्वारा जल, गंगाजल, दूध, दही, शहद, शर्करा, घी, विजया, ईख रस से महादेव का रूद्राभिषेक कर आक, धतूरा, पुष्प, भस्म आदि से श्रृंगार किया जाता है। केशर, चंदन, धूप, दीप, नेवैद्य, कर्पूर, श्रीफल, ऋतुफल, प्रसाद, इत्र आदि सामग्री से महादेव का पूजन किया जाता है। शिवालयों के साथ-साथ घर-घर में भी महादेव का अभिषेक-पूजन किया जाता है।

जबरेश्वर महादेव का सालासर बालाजी स्वरूप का श्रृंगार

जबरेश्वर महादेव मंदिर में बच्चे व बड़े सीखते है रूद्राष्टध्यायी पाठ
सावन मास की शुरुवात से गोगागेट स्थित जबरेश्वर महादेव मंदिरका में प्रतिदिन सुबह 4 बजे से विशेष दूध अभिषेक, पूजन कर श्रृंगार किया जाता है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां आने वाला भक्त रूद्राष्टध्यायी के पाठ पंडित राम जी ओझा व पंडित श्रवण व्यास के सानिध्य में सीखते है। लम्बे समय से रूद्राष्टध्यायी पाठ सिखने व सिखाने का पुनीत कार्य जारी है।
पंडित राम जी ओझा ने कहा कि मंदिर में सिखने वालों पर भगवान महादेव की कृपा होती है तभी सीखते है और जीवन की हर बाधा को भगवान शंकर दूर करते है। पंडित श्रवण व्यास ने बताया कि हर वर्ष करीब 25 से 30 भक्त रूद्राष्टध्यायी पाठ व अभिषेक पूजन करना सीखते है। जबरेश्वर महादेव का अभिषेक कर बिल्वपत्र, आक पुष्प, गुलाब पुष्प सहित अन्य पुष्पों से श्रृंगार किया गया। महादेव के भक्त चंद्र शेखर सोनी प्रतिदिन शिवलिंग पर चंदन,केसर,काजल, भांग, गुलाल द्वारा भगवान के विभीन्न स्वरूपो का श्रृंगार करते है।