लोकसभा चुनाव से पहले राजनैतिक दलों द्वारा गारंटियों ओर घोषणाओं का पिटारा खोला जा रहा है, परंतु देश में बेरोजगार युवाओं को उनके सुरक्षित भविष्य की गारंटी कोई भी लेता नजर नहीं आया है। इसी विषय पर पढ़िए सुमित व्यास का एक आलेख :-
बीकानेर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय जनता के बीच में मोदी की गारंटी’ अभियान चला रहे हैं। भ्रष्टाचार से मुक्ति की गारंटी, विकसित भारत की गारंटी, गरीबी से मुक्ति की गारंटी, किसानों की आय दोगुनी करने की गारंटी। लेकिन एक गारंटी तो पीएम मोदी भी देश को नहीं दे पा रहे हैं, कहना चाहिए कोई प्रधानमंत्री ये गारंटी देश के भविष्य को अभी तक नहीं दे पाया है। ये गारंटी है। पेपर लीक ना होने की, समय रहते रोजगार मिलने की, हर रिक्त पद के भरने की। लेकिन युवाओं के भविष्य पर किसी को दांव नहीं लगाना है, किसी को भी जमीन पर स्थिति को नहीं बदलना है केवल राज और सत्ता का मज़ा लेना है। अब बस सभी पार्टियों को संपूर्ण देश पर पार्टी का झंडा फहराने की होड़ लगी है। भारत के इतिहास पर नजर डालें तो आचार्य चाणक्य ने एक अखंड भारत के लिए युद्ध किया पर पूर्ण शिक्षा के साथ पर अब देश में केवल सत्ता स्थापित करने की जहोजद लगी है। कोई भी पार्टी हो, कोई भी राज्य हो, पेपर लीक एक देशव्यापी बीमारी बन चुकी है जिसने युवाओं के करियर पर जंग लगा दी है। यूपी से राजस्थान तक, असम से तेलंगाना तक, गुजरात से बंगाल, शायद कोई राज्य बचा है जहां पर पेपर लीक ना हुआ हो। इसके ऊपर सिर्फ सरकारी परीक्षाओं तक ये बीमारी सीमित नहीं चल रही है, इसकी पहुंच तो स्कूलों तक भी पहुंच चुकी है। बोर्ड की परीक्षाओं से पहले पेपर लीक हो जाते है। देश का विकास तभी संभव है जब देश का युवा शिक्षित हो और बेरोजगार न हो। देश की मुख्य गारंटी को देश के मुखिया क्यों नहीं दे रहे ये एक बड़ा सवाल है।