जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने गृह जिले जोधपुर में खोया जनाधार काफी हद तक वापस हासिल करने में कामयाब रहे, लेकिन प्रमुख के पेंच में फंस गए हैं। जिला परिषद में पूर्ण बहुमत के बावजूद अभी तक यह तय नहीं है कि जिला प्रमुख कांग्रेस का ही बनेगा। कांग्रेस का जिला प्रमुख चुना जाना प्रत्याशी पर निर्भर करेगा। प्रत्याशी चयन को लेकर उलझन में पड़े कांग्रेस के नेता गहलोत की तरफ देख रहे हैं। इतना तय है कि एक भी चूक कांग्रेस की किरकिरी करा देगी।

कांग्रेस के रणनीतिकार भी पसोपेश में हैं कि किसे प्रत्याशी चुनें? जोधपुर में गहलोत के एक खास सिपहसालार ने भी अपनी बेबसी जाहिर करते हुए कहा कि इन लोगों को कैसे समझाएं । महिपाल मदेरणा की पत्नी लीला मदेरणा और बद्रीराम जाखड़ की बेटी मुन्नी गोदारा दोनों अड़े हुए हैं। दोनों के पास खुद समेत चार-चार सदस्यों का समर्थन है। इन दोनों में से किसी एक को प्रत्याशी बनाए तो दूसरे पक्ष की क्रॉस वोटिंग का खतरा मंडराना तय है।

किसी नए प्रत्याशी की संभावना तलाशी अवश्य जा रही है, लेकिन शर्त यह है कि वह दोनों को मान्य हो। ऐसा कोई प्रत्याशी मिलता मुश्किल नजर आ रहा है, जो दोनों मदेरणा और जाखड़ परिवार को साध सके। पार्टी के पर्यवेक्षकों व रणनीतिकार इसी में उलझे हैं। उनकी खोज पूरी नहीं हो पा रही है। देखने वाली बात होगी कि गहलोत किसी नए चेहरे पर दांव खेलते हैं या फिर इन दो परिवारों में से किसी एक पर।

कांग्रेस में लीला-मुन्नी का विरोध
कांग्रेस में लीला व मुन्नी दोनों का विरोध भी हो रहा है। कुछ सदस्यों का कहना है कि इस बार नया चेहरा सामने लाया जाना चाहिए। चुनाव जीत चुकी एक महिला प्रत्याशी ने सवाल उठाया कि हर बार ये दो परिवार ही क्यों? नए लोगों को कब मौका देगी पार्टी? एक अन्य महिला सदस्य ने कहा कि मदरेणा परिवार बरसों तक जिला प्रमुख पद पर काबिज रहा। लीला की बेटी दिव्या विधायक है और वह स्वयं एपेक्स बैंक की चेयरपर्सन।

बद्रीराम जाखड़ परिवार को पार्टी ने चार बार लोकसभा का प्रत्याशी बनाया। बद्रीराम स्वयं एक बार प्रधान भी रह चुके है। मुन्नी देवी एक बार जिला प्रमुख रह चुकी हैं और दूसरी बार चुनाव हार चुकी हैं। पार्टी ने दोनों परिवारों को बहुत कुछ दिया है। ऐसे में दोनों परिवारों को अब पार्टी हित में अपने स्थान पर किसी नए चेहरे का समर्थन करना चाहिए।

जब कांग्रेसियों ने मिलकर ढहा दिया अपना ही गढ़
भाजपा बरसों तक जोधपुर के ग्रामीण क्षेत्र में कांग्रेस का मजबूत गढ़ नहीं ढहा पाई थीं। 2004 के जिला परिषद चुनाव में कांग्रेस नेताओं ने आपसी खींचतान में अपना गढ़ स्वयं ही ढहा दिया था। आपसी झगड़े का लाभ उठाकर भाजपा पहली बार अपना जिला प्रमुख बनवाने में कामयाब रही थी।

2004 के जिला परिषद चुनाव में कांग्रेस को वर्तमान के समान ही पूर्ण बहुमत मिला था। कांग्रेस ने लीला मदेरणा की दावेदारी को दरकिनार कर बद्रीराम जाखड़ की बेटी मुन्नीदेवी को प्रत्याशी बना दिया। यह बात मदेरणा परिवार को बहुत नागवार गुजरी और उसके तीन समर्थकों ने क्रास वोटिंग कर दी। अल्पमत में होते हुए भी भाजपा की अमिता चौधरी जिला प्रमुख पद पर चुनाव जीत गई। अमिता की इस जीत ने जिले के ग्रामीण क्षेत्र में कांग्रेस की पकड़ को काफी हद तक कमजोर करने में अहम भूमिका निभाई।