जयपुर। राजस्थान के सियासी संकट के बीच अशोक गहलोत खेमे के विधायकों को जैसलमेर के जिस सूर्यगढ़ होटल में रखा गया है,उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी 700 पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों एवं जवानों को सौंपी गई है। इनमें 7 आईपीएस व 15 राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों के साथ ही सीबाईडी के 35 अफसर व जवान जयपुर से भेजे गए हैं। इनमें से 2 आईपीएस और 13 राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों को जयपुर से भेजा गया है।

सूर्यगढ़ होटल के चारों तरफ 30 किलोमीटर तक सुरक्षा के प्रबंध

जैसलमेर के प्रसिद्ध सोनार किले की तरह बने जिस सूर्यगढ़ होटल में गहलोत खेमे के विधायकों को रखा गया है, उसके चारों तरफ 30 किलोमीटर के एरिया में सुरक्षा के प्रबंध किए गए हैं। पाकिस्तान सीमा के निकट रेगिस्तानी इलाके में बने इस होटल के बाहरी हिस्से में जहां पुलिस के अफसर और जवान सुरक्षा का जिम्मा संभाल रहे हैं।

सिंधी मुस्लिमों के धर्मगुरू गाजी फकीर देख रहे विधायकों के रहने का पूरा प्रबंध

वहीं अंदर और बाहर दोनों तरफ सिंधी मुस्लिम समाज के धर्मगुरू गाजी फकीर के ग्रुप ने भी विधायकों की सुरक्षा का जिम्मा संभाला हुआ है। गाजी फकीर की टीम इस बात का ध्यान रख रही है कि भाजपा या सचिन पायलट की तरफ से गहलोत खेमे के विधायकों से संपर्क नहीं हो सके। यह टीम पुलिसवालों पर भी निगरानी रख रही है कि कहीं ये गहलोत से दगाबाजी कर उनके कैंप की सूचना भाजपा या पायलट तक नहीं पहुंचो दे। सीमावर्ती जैसलमेर व बाड़मेर जिलों के साथ ही पाकिस्तान में रह रहे सिंधी मुस्लिमों के धर्मगुरू गाजी फकीर का इस इलाके में बड़ा रूतबा है। गाजी फकीर के बेटे सालेह मोहम्मद अशोक गहलोत सरकार में केबिनेट मंत्री है।

परीक्षा से गुजर रहे गहलोत

सीएम गहलोत अपने 45 साल के राजनीतिक जीवन में पहली बार सबसे बड़ी सियासी परीक्षा से गुजर रहे हैं। सचिन पायलट की चुनौती गहलोत के लिए अभी भी पहेली बनी हुई है। सरकार बचने और गिरने में महज 1 से 2 विधायकों के पाला बदलने का खेल है। गहलोत जहां दावा 102 विधायकों का कर रहे हैं,वहीं उनके विरोधियों के पास 98-99 विधायक की बात कही जा रही है। खुफिया एजेंसियों के इनपुट और बदलते समीकरणों ने गहलोत को रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया है।

गहलोत बहुमत के किनारे पर खड़े हैं

खुफिया एजेंसी को इनपुट मिला कि जयपुर के फेयरमाउंट होटल में विधायकों से विरोधी खेमा संपर्क कर रहा है। विधायकों के परिजनों से भी पायलट खेमे व भाजपा का संपर्क बढ़ने की सूचना मिली तो गहलोत ने जैसलमेर को सबसे सुरक्षित मानकर विधायकों को यहां भेजा। 200 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 101 विधायकों की जरूरत है। गहलोत खुद अपने पास 102 विधायक होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि उनके पास इतने विधायक नहीं है, उनके पास 100 विधायक ही है। माकपा के दोनों विधायक पहले साथ थे, लेकिन अब तटस्थ हैं। ऐसे में गहलोत बहुमत के किनारे पर खड़े हैं। एक भी विधायक के पाला बदलने का मतलब सरकार का गिरना तय है।