कांग्रेस आलाकमान

बीकानेर। विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में टिकट बंटवारे से लेकर मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमण्डल के नाम तय करने तक का कार्य दिल्ली में पार्टी के आलाकमान ने ही किया है।

अब सियासी गलियारों में चर्चा होने लगी है कि क्या मंत्रियों के विभागों का बंटवारा भी प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के हस्तक्षेप से ही होगा! इतना ही नहीं डिप्टी सीएम सचिन पायलट को कक्ष वितरण भी क्या पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ही करेंगे!

सोमवार को गहलोत सरकार के 13 कैबिनेट और 10 राज्य मंत्री पद और गोपनीयता की शपथ ले चुके हैं, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच विभागों के बंटवारें को लेकर सहमति नहीं बन सकी है। साथ ही शासन सचिवालय में डिप्टी सीएम सचिन पायलट कहां बैठेंगे, यह भी अभी तक तय नहीं हो सका है।

अब क्या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ही डिप्टी सीएम के शासन सचिवालय में बैठने का स्थान तय करेंगे। प्रदेश के सियासी गलियारों में इस बात को लेकर कांग्रेस आलाकमान को लेकर पिछले दो-तीन दिनों से चर्चा गर्म है।

राजनीति से जुड़े लोगों का मानना है कि जब प्रदेश से जुड़ा हर राजनीतिक फैसला आलाकमान को ही करना है तो उन्होंने मुख्यमंत्री पद पर अशोक गहलोत को क्यों बैठाया है। वे खुद ही मुख्यमंत्री बन जाएं, या फिर पार्टी के वरिष्ठ नेता गहलोत पर भरोसा करें।

वरिष्ठ नेताओं का शपथग्रहण समारोह में नहीं आने पर भी चर्चाएं

वहीं मंत्रिमंडल में कई वरिष्ठ विधायकों का नहीं आना भी चर्चा का विषय बना हुआ है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत, कांग्रेस विधायक परसराम मोरदिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सीपी जोशी, हेमाराम चौधरी सहित कई कांग्रेसी विधायक शपथ ग्रहण समारोह से नदारद रहे।

राजनीतिज्ञों का मानना है कि कांग्रेस में कलह बड़ी होती जा रही है। जिस तरह ज्वालामुखी फटती है और लावा बाहर आता है, उसी तरह से कांग्रेस के नेताओं में ज्वालामुखी फटने को तैयार है जिसका सीधा खमियाजा पार्टी को लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है।