इतिहास

राजस्थान आर्कियोलोजी एण्ड एपिग्राफी कान्ग्रेस के प्रथम अधिवेशन का आयोजन

राजस्थान के पुरातत्त्व एवं शिलालेखों पर 9 एवं 10 फरवरी, 2019 को दो दिवसीय सम्मेलन बीकानेर में आयोजित होने जा रहा है। इसमें प्राक् इतिहास से लेकर स्वतन्त्रतापूर्व के पुरातत्त्व एवं शिलालेखों पर दो दिन तक देश एवं प्रदेश के इतिहासकार एवं पुरातत्त्वविद गहन विचार मंथन करेंगे। इससे हमारी सरंस्कृतिक विरासत के विभिन्न पक्ष उजागर होंगे।
इस अधिवेशन में देश के प्रतिष्ठित पुरातत्त्वविद एवं शिलालेखों के विशेषज्ञ अपनी भागीदारी निभाने आ रहे हैं। इनमंे दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया विश्वविद्यालय, अलीगढ़, मुस्लिम विश्वविद्यालय, मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय, उदयपुर, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के अतिरिक्त अन्य महाविद्यालयों के विद्वान एवं शोधार्थी अपने शोधपत्र प्रस्तुत करेंगे। इस अधिवेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर जीवनसिंह खरकवाल हैं जिन्होंने माऊंट आबू के समीप परमारों की राजधानी चन्द्रवती की खोज की। राजस्थान विद्यापीठ के ही पूर्व प्रोफेसर ललित पांडे जिन्होंने आहाड़ एवं अन्य उत्खननों के माध्यम से वहां की संस्कृतियां उजागर की। राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के डॉ. मुरारीलाल शर्मा को असंख्य शैलचित्रों की खोज का श्रेय जाता है। इसी विश्वविद्यालय के डॉ. मदनलाल मीणा शेखावटी के प्रागैतिहासिक एवं आधैतिहासिक पुरातत्त्व के विद्वान हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. सूरजभान भारद्वाज एवं डॉ. मयंक कुमार एवं जामिया मिलिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रो. आर.पी. बहुगुणा मध्यकालीन पुरातत्त्व के विद्वान हैं। अलीगढ़ विश्वविद्यालय के प्रो. याकूब अली खान एवं डॉ. जिबरैल भी अपने शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। महाराजा सवाई मानसिंह म्युजियक, जयपुर की निदेशक डॉ. रीमा हूजा एवं गिरिराजसिंह कुशवाह प्राचीन इतिहास के विद्वान है जो मुख्य मेहमान हैं।

इस कान्ग्रेस का गठन नवम्बर 2018 में किया गया था। इसका उद्देश्य है कि सतह के नीचे एवं जमीन के ऊपर बिखरे पड़े अवशेषों के बारे में चर्चा की जावे। राजथान प्राचीन पुरातत्त्व के साथ-साथ मध्ययुगीन दुर्गों, महलों, हवेलियों, छतरियों, जलाशयों, बावडि़यों एवं गढि़यों के लिए भारत ही नहीं विश्व में विख्यात है। हजारों लाखों की संख्या में शिलालेख बिखरे पड़े हैं। इन सारे विषयों पर हो रही शोधों को उजागर करना इस सम्मेलन का उद्देश्य है।
संगठन के अध्यक्ष प्रो. बी.एल. भदानी एवं सचिव डॉ. रितेश व्यास ने यह जानकारी देते हुवे स्थानीय विद्वानों से भागीदारी निभाने एवं कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील की है।