भारत-चीन सीमा क्षेत्र पर पेट्रोलिंग करते हुए देश का एक जवान शहीद हो गया। वीरों की धरती झुंझुनूं जिले का बेटा नायब सूबेदार शमशेर अली खान भारत-चीन की सीमा पर पेट्रोलिंग करते हुए शहीद हो गए। शहीद के पार्थिव शरीर की शुक्रवार तक उनके पैतृक गांव पहुंचने की संभावना है।

शमशेर अली खान की चार पीढ़ियों ने देश के नाम अपनी सेवा दी है और पांचवीं पीढ़ी भी सेना में जाने के लिए तैयार बैठी है। शमशेर अली खान के दादा ने साल 1965 में भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में हिस्सा लिया था। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शमशेर के शहादत को श्रद्धांजलि दी है।
जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कमांडर परवेज हुसैन ने बताया कि शमशेर अली खान दयपुरवाटी उपखंड के गुढ़ागौड़जी के पास हुकुमपुरा गांव के रहने वाले थे। शमशेर अली अरुणाचल प्रदेश के टेंगा में 24 ग्रेनेडियर यूनिट में तैनात थे। शमशेर चीन की सीमा के पास पेट्रोलिंग कर रहे थे।

उसी दौरान आतंकवादियों की ओर से कुछ हरकत देखने को मिली और शमशेर अली खान पाइनिज पोस्ट पर शहीद हो गए। इस पोस्ट की ऊंचाई करीब 18,000 फीट है। जैसे ही शमशेर अली खान के गांव तक ये खबर पहुंची, वहां शौक का माहौल छा गया। शमशेर की पत्नी सलमा बानो बेसुध हो गईं।

शहीद के भाई अली शेर ने बताया कि शमशेर साल 1997 में सेना में भर्ती हुए थे। इस परिवार में देशभक्ति का जज्बा इसी बात से आंका जा सकता है कि परिवार की चार पीढ़ियों ने देश के नाम सेवा देने पर अपना जीवन न्योछावर कर दिया। शमशेर अली खान के दो बेटे हैं एक की उम्र 16 साल तो दूसरे की उम्र 12 साल है। दोनों ही बेटे सेना में जाने की बात कह चुके हैं।