बीकानेर, 17 नवंबर।
प्रादेशिक परिवहन कार्यालय द्वारा रविवार को विश्व रिमेंबरेंस दिवस के अवसर पर पीबीएम ट्रॉमा सेंटर में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों की स्मृति में श्रद्धांजलि दी गई और चिकित्साकर्मियों को उनके अमूल्य योगदान के लिए सम्मानित किया गया। साथ ही, यातायात नियमों के पालन और सड़क दुर्घटनाओं से बचाव का संकल्प लिया गया।
सड़क दुर्घटनाओं के चौंकाने वाले आंकड़े और उनके कारण
ट्रोमा सेंटर के निदेशक डॉ. बी.एल. खजोटिया ने सड़क दुर्घटनाओं से जुड़े चिंताजनक आंकड़ों को साझा किया। उन्होंने बताया कि भारत में हर साल 4,80,583 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें 1,17,682 मौतें होती हैं। इनमें से 68% मौतों का कारण ओवरस्पीडिंग है। इसके अतिरिक्त:
- 9,432 मौतें रॉन्ग साइड ड्राइविंग के कारण।
- 3,674 मौतें नशे में वाहन चलाने से।
- 2,889 मौतें मोबाइल पर बात करते समय।
- 818 मौतें ट्रैफिक लाइट का उल्लंघन करने से।
- 38,400 मौतें अन्य कारणों से होती हैं।
डॉ. खजोटिया ने दुपहिया वाहन चालकों और पैदल यात्रियों को सड़क दुर्घटनाओं का सबसे अधिक शिकार बताया। उन्होंने कहा कि सुरक्षित सड़कों, सुरक्षित वाहनों, प्रशिक्षित ड्राइविंग और प्रभावी ट्रॉमा केंद्रों की आवश्यकता पर बल दिया।
सड़क सुरक्षा के लिए ट्रॉमा सेंटर की भूमिका
जिला परिवहन अधिकारी भारती नैथानी ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए यातायात नियमों का पालन अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने और सड़क दुर्घटनाओं में त्वरित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए परिवहन विभाग लगातार प्रयासरत है।
ट्रोमा सेंटर के सीएमओ डॉ. एल.के. कपिल ने कहा कि सड़क सुरक्षा के मूलभूत संस्कार युवाओं को बचपन से ही दिए जाने चाहिए। उन्होंने ट्रॉमा सेंटर की तैयारियों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र में ऑर्थोपेडिक्स, सर्जरी और न्यूरो सर्जरी के विशेषज्ञ डॉक्टर एवं स्टाफ 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं। आपात स्थिति में अतिरिक्त चिकित्सकों को भी बुलाया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि यहां एक्स-रे, सीटी स्कैन, ऑपरेशन थियेटर और लैब जैसी सभी आधुनिक सुविधाएं हमेशा कार्यरत रहती हैं।
भविष्य की योजनाएं
डॉ. खजोटिया ने घोषणा की कि मेडिकल कॉलेज परिसर में ट्रॉमा स्किल्ड सेंटर स्थापित किया जाएगा। इस केंद्र में विभिन्न विभागों, समाजसेवियों और सड़क किनारे कार्यरत लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा, जिससे सड़क दुर्घटनाओं के बाद त्वरित बचाव कार्य को बेहतर बनाया जा सके।
विश्व रिमेंबरेंस दिवस का महत्व
लेखक अशफाक कादरी ने इस दिन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विश्व रिमेंबरेंस दिवस सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को याद करने और उनके लिए काम करने वाले चिकित्सकों, पुलिसकर्मियों और बचाव दलों के प्रति आभार व्यक्त करने का दिन है। यह दिन हमें यातायात नियमों के पालन की आवश्यकता और सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक रहने का संदेश देता है।
समाजसेवियों और चिकित्सकों का सम्मान
कार्यक्रम में समाजसेवी हरिकिशन राजपुरोहित और डॉ. जे.पी. कड़वासरा ने अपने अनुभव साझा किए। परिवहन निरीक्षक करनाराम और प्रशासनिक अधिकारी अश्विनी राजपुरोहित ने ट्रॉमा सेंटर प्रभारी डॉ. बी.एल. खजोटिया, सीएमओ डॉ. एल.के. कपिल, असोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुरेंद्र चोपड़ा, डॉ. समीर पंवार, डॉ. रतिराम मीणा, नर्सिंग अधीक्षक राजकुमार शर्मा, फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. शीतल पंवार समेत विभिन्न विभागों के चिकित्साकर्मियों को सम्मानित किया।
श्रद्धांजलि और संकल्प
कार्यक्रम में सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। दो मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई। कार्यक्रम के अंत में परिवहन निरीक्षक करनाराम ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
निष्कर्ष
इस आयोजन ने न केवल चिकित्साकर्मियों और बचाव दलों के प्रति सम्मान प्रकट किया, बल्कि सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों के पालन का संदेश भी दिया। यह दिन हमें याद दिलाता है कि जिम्मेदार व्यवहार और यातायात नियमों का सख्ती से पालन ही सड़क दुर्घटनाओं को कम करने का सबसे प्रभावी उपाय है।