बीकानेर। चुनाव तो महज एक मोहल्ले के पार्षद का है लेकिन प्रतिष्ठा इतनी बड़ी है कि वोट देने के लिए कोई दो हजार किलोमीटर का सफर करके आया है तो कोई 1100 किलोमीटर दूर से। कुछ लोग तो जोराहट से यानी ढाई हजार किलोमीटर दूर से भी आये हैं। दरअसल, बीकानेर की तीन नगर पालिकाओं में हो रहे चुनाव में किसी का रिश्तेदार चुनाव मैदान में है तो किसी के बचपन का दोस्त।

बीकानेर की नोखा, श्रीडूंगरगढ़ और देशनोक नगर पालिका में शुक्रवार सुबह मतदान शुरू हुआ। इससे पहले कोई हवाई जहाज से जयपुर और जयपुर से कार करके नोखा आया ताे कोई श्रीडूंगरगढ़-देशनोक पहुंचा। बड़ी संख्या में लोग रेल का लंबा सफर करके आये हैं। एक अनुमान के मुताबिक अकेले नोखा में चार हजार लोग सिर्फ वोट देने के लिए सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करके आए हैं।

नोखा, श्रीडूंगरगढ़ और देशनोक तीनों ही पालिकाओं में रहने वाले लोग कोलकाता, आसाम, गुजरात व महाराष्ट्र में काम करते हैं। वैसे तो सालों ही यहां नहीं आते लेकिन मतदान के दौरान इन्हें बकायदा आमंत्रित किया जाता है। इस स्नेह निमंत्रण को स्वीकार करने वालों की संख्या हजारों में है। परिवार वालों से मिलने की इच्छा के साथ ही अपने परिचितों को वोट देने का मन इन्हें खींच लाता है।

यहां से आते हैं लोग

वैसे तो देशभर में ही इन पालिकाओं के लोग रहते हैं लेकिन सबसे ज्यादा जहां से आते हैं उनमें सूरत, मुंबई, बैंगलुरु, चिकमंगलूर, भुवनेश्वर, कोलकाता, जोराहट, शिवसागर और गुवाहाटी जैसे शहर है। दरअसल, आसाम, गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल, उड़ीसा के कई छोटे बड़े कस्बों में यहां के लोग काम करते हैं। नोखा व श्रीडूंगरगढ़ से तो कई बड़े व्यवसायी इन राज्यों में सालों से रहते हैं।

कितनी दूरी से

नोखा के सुरेश भूरा अपने रिश्तेदार को वोट देने के लिए भुवनेश्वर से 2077 किलोमीटर की दूरी तय करके यहां आ गए हैं। उनका कहना है कि मतदान करने का कोई अवसर नहीं छोड़ना चाहता। फिर हमारे कस्बे का रख रखाव तो ये लोग ही करते हैं। आसाम का शिव सागर 2577 किलोमीटर दूर है लेकिन वहां से जुगल राठी वोट देने के लिए आये हैं। उनका कहना है कि इस बहाने रिश्तेदारों से मिलना हो जायेगा और मतदान की जिम्मेदारी भी पूरी हो जायेगी। वहीं मूलचंद गट्‌टानी जोराहट से 2519 किलोमीटर से नोखा आये हैं। सब का उद्देश्य मतदान करना है तो साथ ही अपने कस्बे के लोगों से मिलना भी।

मुंबई से आकर 99 साल की मां के साथ वोट दिया

मुंबई से करीब बारह सौ किलोमीटर की यात्रा करके सत्यनारायण झंवर नोखा आये हैं। शुक्रवार सुबह वो अपनी 99 वर्षीय मां मोहिनी देवी के साथ वोट देने गए। तब उनकेसाथ मोहिनीदेवी का पौत्र किशन भी था। सत्यनारायण झंवर का मानना है कि मतदान हमारे कस्बे के प्रति हमारी जिम्मेदारी है।

हर चुनाव में आते हैं

ऐसा नहीं है कि ये लोग सिर्फ पालिका चुनाव में ही आते हैं। विधानसभा चुनाव में तो संख्या इससे भी कई गुना अधिक होती है। सांसद और ग्राम पंचायत चुनाव में अलबत्ता कम लोग आते हैं। पालिका चुनाव में प्रत्याशियों की संख्या अधिक होने और किसी न किसी तरह की रिश्तेदारी या फिर मित्रता उन्हें खींच लाती है।

कोराेना की कसर निकाली

दरअसल, मार्च में कोरोना वायरस का खतरा मंडराने के कारण बड़ी संख्या में लोग अपने घर नहीं आये थे। ऐसे में चुनाव का अवसर आते ही लोग दौड़े चले आए हैं। श्रीडूंगरगढ़ व देशनोक में भी अधिकांश लोग मार्च के बाद पहली बार आये हैं।​​​