देवेंद्रवाणी न्यूज़, बीकानेर।

राजस्थान के कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई बहुत प्रभावित हुई। स्कूल खुल नहीं पाए, कक्षाएं ऑनलाइन चलीं जिसकी वजह से फीस एक अहम मसला बन गया। आखिरकार मामला अदालत तक पहुंच गया। इसी क्रम में हाईकोर्ट में निजी स्कूलों की फीस वसूली से जुडे़ मामले में शनिवार को सुनवाई 7 दिसंबर तक टल गई। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महान्ति व जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ में थी।

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पूर्व में इस पूरे केस की सुनवाई दूसरी खंडपीठ में हुई थी। ऐसे में मामले की सुनवाई सोमवार को उसी खंडपीठ के समक्ष ही की जाए। पिछली सुनवाई पर इस मामले में एक निजी शिक्षक ने भी पक्षकार बनने की अर्जी लगाते हुए कहा था कि निजी स्कूलों ने करीब 75 फीसदी स्टाफ को नौकरी से निकाल दिया है और उसे दो महीने का वेतन भी आधा दिया है।

स्कूल प्रशासन ने करीब तीन दर्जन शिक्षकों को बाहर कर दिया है। जबकि स्कूल संचालक बच्चों पर दवाब डालकर फीस वसूली कर रहे हैं, लिहाजा शिक्षकों का भी पक्ष सुना जाए। दरअसल हाईकोर्ट की एकलपीठ ने प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन व अन्य की याचिका पर 7 सितंबर को निजी स्कूलों की 70 फीसदी ट्यूशन फीस वसूल करने की छूट दी थी। राज्य सरकार व अन्य की इस आदेश के खिलाफ अपील पर खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को अंतरिम रूप से फीस तय करने को कहा था। जिसके पालन में राज्य सरकार ने सीबीएसई की कक्षा नौ से 12 तक के विद्यार्थियों की ट्यूशन फीस का 70 फीसदी और राजस्थान बोर्ड की इन कक्षाओं की ट्यूशन फीस का 60 फीसदी वसूलना तय किया।