बीकानेर। अंतराष्ट्रीय योग विज्ञान शोध अकादमी, नेशनल योगासना स्पोर्ट्स फेडरेसन एवं मक्खन जोशी वेलफेयर सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में योग गुरु पन्नालाल पुरोहित ’आदमी’ की पावन स्मृति मं भुवनेश पुरोहित, यशोवर्धिनी एवं डॉक्टर मोना सरदार डूडी के निर्देशन में स्थानीय लाली माई पार्क में 1 माह के योग शिविर का आयोजन किया जा रहा है।
शिविर में 6 साल से लेकर 72 साल तक आयु वर्ग के लोग योगासनों का प्रतिदिन अभ्यास कर रहे हैं। सूक्ष्म क्रियाएं, वीरासन, ताड़ासन गोमुखासन मछिंद्र आसन एवं अनुलोम-विलोम एवं प्राणायाम तथा प्रोटोकॉल आसनों का बच्चो ने अभ्यास किया एवं 21 जून को होने वाले योग दिवस की तैयारियां भी की। शुक्रवार को आयोजित हुए शिविर के दौरान झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजली अर्पित की गई। सुनीलम ने शिविर में उपस्थित बच्चों को झांसी की रानी की शौर्यगाथा सुनाई तथा बच्चों विशेषकर बालिकाओं को लक्ष्मीबाई के समान वीरता धारण करने तथा सदैव अपने आपको सजग रहने की बात बताई। सुनीलम ने बताया कि आज के समय में बढ़ रही आपराधिक प्रवृत्तियो की मुख्य वजह बालिकाओं का आवाज ना उठाना है। बाहर से ज्यादा आज बालिकाएं घर में ही असुरक्षित है। अगर ऐसी कोई अवांछित घटना उनके साथ घटित होती है तो ऐसी स्थिति में बालिकाओं को अपने आस पास उपलब्ध छुरी, पेचकस, बेलन, वाईपर, चम्मच या अन्य उपलब्ध घरेलू संसाधनों का इस्तेमान करने की कला आनी चाहिये। इस अवसर पर बालिकाओं ने एक डेमो भी दिया जिसका छायाचित्र युवा फोटोग्राफर सिद्धार्थ कुलरिया ने कैद किया।
शिविर में 6 साल से लेकर 72 साल तक आयु वर्ग के लोग योगासनों का प्रतिदिन अभ्यास कर रहे हैं। सूक्ष्म क्रियाएं, वीरासन, ताड़ासन गोमुखासन मछिंद्र आसन एवं अनुलोम-विलोम एवं प्राणायाम तथा प्रोटोकॉल आसनों का बच्चो ने अभ्यास किया एवं 21 जून को होने वाले योग दिवस की तैयारियां भी की। शुक्रवार को आयोजित हुए शिविर के दौरान झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजली अर्पित की गई। सुनीलम ने शिविर में उपस्थित बच्चों को झांसी की रानी की शौर्यगाथा सुनाई तथा बच्चों विशेषकर बालिकाओं को लक्ष्मीबाई के समान वीरता धारण करने तथा सदैव अपने आपको सजग रहने की बात बताई। सुनीलम ने बताया कि आज के समय में बढ़ रही आपराधिक प्रवृत्तियो की मुख्य वजह बालिकाओं का आवाज ना उठाना है। बाहर से ज्यादा आज बालिकाएं घर में ही असुरक्षित है। अगर ऐसी कोई अवांछित घटना उनके साथ घटित होती है तो ऐसी स्थिति में बालिकाओं को अपने आस पास उपलब्ध छुरी, पेचकस, बेलन, वाईपर, चम्मच या अन्य उपलब्ध घरेलू संसाधनों का इस्तेमान करने की कला आनी चाहिये। इस अवसर पर बालिकाओं ने एक डेमो भी दिया जिसका छायाचित्र युवा फोटोग्राफर सिद्धार्थ कुलरिया ने कैद किया।