devendra vani, Bikaner : बात दिसम्बर 1942 की है, जब अंग्रेजों का राज था। उन दिनों तिरंगा फहराना अपराध माना जाता था। भीड़भाड़ वाले बैदों के चौक में लोग आ जा रहे थे। इस दौरान एक युवक आया और बीच बाजार में तिरंगे को लहरा दिया। जोर से नारा लगाया, वंदेमातरम्…भारत माता की जय…,अब हर कोई चकित था। कुछ समय की असहजता के बाद वहां मौजूद हर शख्स ने वंदेमातरम् का नारा लगाया। ये युवक थे रामनारायण शर्मा, जाे आजादी मिलने तक अंग्रेजों से लड़ते रहे।

उस दिन बैदों के चौक में तिरंगा फहराने के बाद देखते ही देखते लोगों की भीड़ जुटने लगी। एक के बाद एक देशभक्त वंदेमातरम के नारे लगा रहा था। माहौल बदल गया था। सुस्त पड़े इस क्षेत्र में अब आजादी पाने की ललक जाग उठी थी। हर कोई इस तिरंगे को छूने की कोशिश में था, जो छू गया, वो स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा था। यहां से रामनारायण शर्मा तिरंगा हाथ में लेकर निकल पड़े। उनके साथ बड़ी संख्या में लोग साथ चल पड़े। सैकड़ों की संख्या में लोग बैदों के चौक से मोहता चौक पहुंचे। यहां से तेलीवाड़ा होते हुए दाऊजी मंदिर तक आ गए।

गिरफ्तार हुए पर डरे नहीं

जैसे ही अंग्रेज अफसरों को पता चला कि सैकड़ों लोगों की भीड़ देशभक्ति के नारे लगाते हुए आगे बढ़ रही है, वैसे ही वे हरकत में आ गए। रामनारायण शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया। सिविल कोतवाली थाने ले जाया गया। बताया जाता है कि वहां शर्मा को खूब यातनाएं दी गईं। चार-पांच दिन वे पुलिस हिरासत में रहे। इसके बाद वैद्य मघाराम ने उनकी जमानत करवाई। इसके बाद तिरंगा फहराने पर उनके खिलाफ मामला चलता रहा।

तेज हुआ आजादी का आंदोलन

देशभर में वर्ष 1942 में आजादी का आंदोलन तेज हो गया था। रामनारायण शर्मा की ओर से तिरंगा फहराने से यह आंदोलन बीकानेर में तेज हो गया। सत्यदेव विद्यालंकर की ओर से संपादित एक पुस्तक बीकानेर का राजनीतिक विकास और मघाराम वैद्य में भी इसका जिक्र है।

प्रजा परिषद ने बढ़ाया आजादी आंदोलन

बीकानेर में प्रजा परिषद ने आजादी के आंदोलन को आगे बढ़ाया था। इस घटना के बाद वैद्य मघाराम शर्मा ने झंडा सत्याग्रह बीकानेर में शुरू किया। बैदों के चौक से ही इस सत्याग्रह की शुरुआत मानी गई।