
बीकानेर। राजस्थान उच्च न्यायालय,जोधपुर के न्यायधिपति संदीप कुमार मेहता ने कहा कि बीकानेर के भामाशाहों की देश में एक अलग पहचान है। मानव सेवा के साथ ही यह शहर पशु एवं जीवजन्तुओं की सेवा के लिए जाना जाता है। यहां की कला एवं संस्कृति समृद्ध है। अत:भामाशाह इसे आगे बढ़ाते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के विभिन्न गृहों में आवासित बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए और अधिक सहभागिता निभाएं।
न्यायाधिपति मेहता शनिवार को सर्किट हाउस में जिला प्रशासन,भामाशाह और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने जिला कलक्टर कुमार पाल गौतम, जिला पुलिस अधीक्षक प्रदीप मोहन शर्मा, मुख्य न्यायायिक मजिस्ट्रेट ओम प्रकाश नायक, जिला न्यायाधीश राजेन्द्र कुमार पारीक, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पवन कुमार अग्रवाल तथा ए.सी.जे.एम. राहुल चैधरी तथा महिला अधिकारिता विभाग की अतिरिक्त निदेशक रीना शर्मा सहित भामाशाहों से बच्चों के सर्वांगीण विकास के बारे में चर्चा की।
उन्होंने कहा कि किशोर गृह,सम्पे्रक्षेण गृह, नारी निकेतन और बालिका गृह में सिर्फ पैसे खर्च करने पर बच्चों को विकास नहीं होगा। इन बालक-बालिकाओं को राज्य सरकार एक आयु सीमा तक ही रख सकती है। उन्होंने कहा कि इन गृहों से बाहर आने के बाद इनकी कड़ी परीक्षा होती है। उन्हें यहां रहते हुए ऐसे तैयार किया जाए कि बाहर आने के बाद ये आत्म निर्भर बन सके। इसके लिए भामाशाहों को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि यहां आवासित बच्चों को परिवार की कमी नहीं खलनी चाहिए। इसके लिए उन्हें वृद्धास्था आश्रम में रहने वाली महिलाओं से मिलाया जाए ताकि उन्हें मां का प्यार मिल सके।
न्यायाधिपति ने कहा कि बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए इन आवास गृहों में चाइल्ड कॉन्सलर नियुक्त करते हुए प्रतिदिन इनकी कॉसलिंग करवाई जाए। इससे हमें पता चलेगा कि इनकी मन:स्थिति क्या है। उन्होंने स्कील डवलमेंट सेन्टर में रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण दिलाने पर जोर दिया और कहा कि भामाशाह इसमें अपनी सक्रिय भूमिका निभाए। इसके लिए उन्होंने बच्चों को आत्म निर्भर बनाने के लिए कुछ लीक से हटकर कोर्सेज शुरू करने पर बल दिया और कहा कि योगा,फोटोग्राफी,फिजियो थैरेपी,कुकिंग कोर्स, होटल मैनेजमेंट, पर्यटन जैसे विषयों का प्रशिक्षण दिलाया जाए।
भामाशह जिला प्रशासन के साथ इस पर विचार करते हुउ एमओयू करें। उन्होंने कहा कि इन पाठ्यक्रम का प्रशिक्षण प्राप्त बच्चों को प्रमाण-पत्र भी दिए जाए ताकि इन्हें रोजगार लगाने के लिए ऋण आदि की सुविधा मिल सके। उन्होंने कहा कि बच्चों के यहां रहते हुए उन्हें ऐसा तैयार करें कि वह अपने-आप को सोसायटी से अलग ना समझे। उन्होंने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि आवासित बच्चों के माता-पिता की पहचान कर, उनके आधार कार्ड बनवाएं जाए।
न्यायाधिपति ने बच्चों को ऑउटडोर गेम की सुविधा दिए जाने और सप्ताह में एक दिन जैन मुनि के प्रवचन सुनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इससे बच्चों का शारीरिक विकास के साथ-साथ बौद्धिक विकास भी होगा।
बालिक-बालिकाओं के विकास पर 47 लाख रूपये होंगे खर्च – बैठक में जिला कलक्टर कुमार पाल गौतम ने कहा कि चाईल्ड फें्रडली बनाने तथा आवासित बालक-बालिकाओं के सर्वांगीण विकास के लिए भामाशहों द्वारा विभिन्न कार्यों पर 47 लाख से अधिक राशि खर्च की जायेगी।
उन्होंने बताया कि नेवली लिगनाईट कॉर्पोरेशन बरसिंहसर बीकानेर सेन्टर ऑफ एक्सिलेंस, कौशल प्रशिक्षण केन्द्र पर 15 लाख रूपये और आवासियों के शिक्षण विकास के लिए ट्यूटर व योग शिक्षक पर 2 लाख रूपये, मोदी डेयरी बीकानेर चाईल्ड फे्रंडली पार्क कार्य, झूले और ऑपन जिम पर 5 लाख रूपये, पांचू के हरिकिशन राठी चाईल्ड फे्रंडली एवं उन्नयन कार्यों हेतु प्रथम तल निर्माण कार्य यथा वाल कलर,पेंटिंग, रिपेयरिंग,दो कमरे, एक बड़ा हॉल, लेट-बाथ,गेलरी आदि के निर्माण पर 25 लाख रूपये के, माईनिंग ऐसोशिएशन, बीकानेर और जिला उद्योग संघ कार्य करवाएंगे। उन्होंने कहा कि जनहित और सामाजिक सरौकार के कार्यों में यहां भामाशाहओं ने बहुत अच्छा कार्य किया है।
बैठक में अतिरिक्त जिला कलक्टर (शहर) शैलेन्द्र देवड़ा,उपनिदेशक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग एल.डी.पंवार,सहायक निदेशक बाल अधिकारिता विभाग कविता स्वामी, अन्तराक्षी फाउन्डेशन के निदेशक गोविन्द बेनीवाल, भामाशाह महावीर रांका,सुभाष मित्तल,डीपी पचीसिया,राजेश अग्रवाल सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
उड़ान हिन्दुस्तान की शानदार संस्था-इससे पहले न्यायाधिपति संदीप कुमार शर्मा ने नारी निकेतन परिसर में बने शिशुगृह, बालिका गृह और कौशल प्रशिक्षण केन्द्र का अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने यहां आवासित बालक-बालिकाओं को दी जा रही तालीम और सुविधाओं की मुक्तकंठ से सराहना की और कहा कि शिशुगृह में उड़ान संस्था ने जो बच्चों को वातावरण दिया है,वह तारीफे काबिल है।
इसमें किसी भी तरह की कमी नहीं निकाली जा सकती है। इस संस्था ने शिशुगृह में बच्चों को जो सुविधाएं दी है,वह हिन्दुस्तान में कहीं और देखने को नहीं मिला, शानदार है। बच्चों का शैक्षणिक स्तर,माहौल और स्टॉफ का प्रयास बहुत ही सराहनी है। उन्होंने उड़ान एनजीओ के संचालकों को साधुवाद दिया। वे यहां बालक-बालिकाओं से बड़ी आत्मीयता से मिले और उनका परिचय लिया। साथ ही उन्होंने बालिक-बालिकाओं को अपने हाथ से मिठाई और चॉकलेट दी। न्यायाधिपति ने बालिका गृह के सम्प्रेक्षण गृह और पुस्तकालय कक्ष का उद्घाटन भी किया। उन्होंने स्वरोजगार के लिए बालिकाओं को दिए जा रहे प्रशिक्षण और उनके द्वारा बनाए गए उत्पाद के बारे में भी जानकारी ली।