जयपुर। प्रदेश के गांवों में गरीबों को घर देने वाली प्रधानमंत्री आवास योजना— ग्रामीण इस वित्तीय वर्षों के लक्ष्यों को लेकर शुरुआत में ही पटरी से उतरती दिख रही है। केन्द्र ने इस साल राजस्थान को 3.97 लाख आवास का लक्ष्य दिया था। इस पर ग्रामीण विकास विभाग ने 31 सितंबर तक इन आवासों की स्वीकृति के लिए जिलों को कार्यक्रम भी दिया, लेकिन जिले अब तक लगभग 4 हजार ही आवास स्वीकृत कर पाए हैं। ऐसे में फिर इस बार भी वित्तीय वर्ष समाप्त होने तक गरीबों को अपना मकान मिलने की संभावना शून्य ही है। जबकि केन्द्र से जून में ही राज्य को नए लक्ष्य मिल गए थे।
अभियान में अब तक एक प्रतिशत सफल
चार माह गुजरने के बाद ग्रामीण विकास विभाग ने प्रशासन गांवों के संग अभियान में मंजूरियां जारी करने का जिम्मा उठाया, लेकिन इसके भी 8 दिन गुजरने पर सफलता महज एक प्रतिशत ही आई है। अभियान में सभी जिलों में 4 हजार के आसपास ही मंजूरियां जारी हुईं। जबकि चार—पांच जिलों में तो एक भी मंजूरी जारी नहीं हुई।
नई सूची के नियमों में अटका मामला
योजना से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि लाभार्थियों के चयन के लिए बनी नई सूची को अंतिम रूप देने में यह देरी हुई है। 2015 में सेक सूची के आधार पर बनी पहली वरीयता सूची की कुल 13 लाख से अधिक मंजूरियां जारी होने के बाद राज्य ने 2018 में अतिरिक्त 15 लाख परिवारों की सूची केन्द्र को भेजी थी। इसमें से ही 3.97 लाख नए लक्ष्य मिले हैं।
निदेशक ने किया राजस्थान दौरा
इधर, केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय में निदेशक, ग्रामीण आवास मनस्वी कुमार योजना की क्रियान्विती की समीक्षा के लिए राजस्थान आए हैं। इस दौरान राज्य के अधिकारियों ने तकनीकी खामी के चलते पोर्टल पर मंजूरियों की सही संख्या नहीं आने की बात भी रखी है।