बीकानेर। शुक्रवार को मोहन सिंह वेलफेयर सोसायटी के नेतृत्व में चार सूत्रीय मांग को लेकर पीबीएम अधीक्षक के कक्ष में अनुशासित धरना लगाने पहुंचे, लेकिन काफी देर तक पीबीएम अधीक्षक ही नहीं पहुंचने पर नाराज कार्यकर्ताओं ने अधीक्षक की कुर्सी को सफेद पट्टियों से बांध दिया।

बताया जाता है कि प्रदर्शनकारियों को अधीक्षक तो नहीं मिले, लेकिन उपअधीक्षक के बयान से नई आफत खड़ी हो गई। उपाधीक्षक डॉ. अजय कपूर ने कहा कि पीबीएम के डॉक्टर भ्रष्ट नहीं है, भ्रष्ट तो यहां के बाबू है, जिनके कारण यहां के डॉक्टर्स की बदनामी हो रही है। साथ ही उन्होंने जयपुर सचिवालय भी फोन किया और स्थिति को अवगत करवाते हुए कहा कि सोसायटी के लोगों द्वारा लगाए गए धरने को देखते हुए पीबीएम के अधीक्षक व बाबू अस्पताल छोड़कर भाग गए।

डॉ. कपूर के इन विवादित बयानों से अस्पताल के कर्मचारी भड़क गए। बाबुओं ने तो इस बयान की निंदा करते हुए कार्य बहिष्कार कर दिया। फिर थोड़ी देर बाद पीबीएम अधीक्षक डॉ. पी.के.बैरवाल वहां पहुंचे और मामला बिगड़ते देख डॉ अजय कपूर को अधीक्षक कार्यालय से हटाने का लिखित आदेश दे दिया गया है। सुबह हुए प्रकरण के बाद अधीक्षक ने बाबुओं को आश्वासन दिया था, जिसके बाद अब वहां से हटाते हुए क्षय व वक्ष चिकित्सालय में लगा दिया गया है। वहीं के के मिश्रा को दवा विभाग से मर्दाना चिकित्सालय में लगाया गया है। दोनों उप अधीक्षक हैं।

ये है मांगें- वेद व्यास ने बताया कि पीबीएम में सफाई का टेंडर हुआ था तब टेंडर प्रक्रिया में सफाई संबंधी 45 मशीनें लगाई जाने की बात हुई थी, लेकिन सफाई ठेेकेदार ने सफाई में एक मशीन लगाई। इसका पीबीएम प्रशासन पता होते हुए संबंधित ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही न करना सीधा-सीधा मिलीभगत को दर्शाता है।

व्यास ने बताया कि हमारी दूसरी मांग यह रहेगी कि एमआईआर मशीन टेंडर को निरस्त कर मशीन को ट्रोमा सेंटर में लगाया जाए। तीसर मांग यह रहेगी कि धूड़े बाई धर्मशाला में फैली गंदगी व अव्यवस्था में सुधार किया जाए। चौथी मांग यह रहेगी कि पीबीएम में ठेके पर लगे बिजली कर्मचारियों को वेतनमान बढ़ाया जाए। फिलहाल एक कर्मचारी को 4500 रुपए वेतनमान दिया जा रहा है, इतने कम वेतनमान में कर्मचारी अपनी जान को जोखिम में क्यों डालेगा।