देवेन्द्रवाणी न्यूज,बीकानेर। गत दिनों प्रदेश सरकार ने भले ही प्रदेश के सैकड़ों विद्यालयों को उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत और शिक्षकों के तबादलों से वाहवाही लूट ली हो, लेकिन आज भी विद्यालयों को अपने धणी-धौरी का इंतजार है। इन विद्यालयों में प्रधानाचार्य नहीं होने से न केवल वहां की शिक्षण व्यवस्था बिगड़ी पड़ी है, वहीं विद्यालयों की प्रशासनिक व्यवस्था भी पूरी तरह से चरमरा गई है।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने हाल ही में बड़ी संख्या में उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों को उच्च माध्यमिक मेें क्रमोन्नत किया था, जिससे प्रदेश में उच्च माध्यमिक स्कूलों की संख्या में एकदम से इजाफा हो गया। स्कूलों के इजाफे के साथ ही शिक्षा विभाग द्वारा डीपीसी के माध्यम से केवल करीब 1600 शिक्षकों को प्रधानाचार्य के रूप में पदोन्नति दी, जो ऊंट के मूंह में जीरे जैसी थी। ऐसे में विद्यालयों में संस्था प्रधान का पद रिक्त रह गया। इसके बाद ही तबादलों की बम्पर लिस्टों ने रही-सही कसर बिगाड़ दी और स्कूलों की व्यवस्थाओं को चौपट कर दिया।
इतनी बड़ी संख्या में विद्यालयों में संस्था प्रधान न होने से न केवल उसी विद्यालय की शैक्षिक और प्रशासनिक गतिविधियों रुकी हुई है, बल्कि पीईईओ क्षेत्र के तहत आने वाले अन्य विद्यालयों की स्थिति भी बिगड़ी हुई है। संस्था प्रधान नहीं होने से कई विद्यालयों में तो वित्तीय शक्ति तक का हस्तांतरण नहीं हुआ है, जिससे न तो विद्यालयों में कोई विकास कार्य हो पा रहा है और न ही शिक्षकों और स्टाफ का वेतन बन पा रहा है। केवल वैकल्पिक व्यवस्था के भरोसे ही ये विद्यालय संचालित हो रहे हंै। ये हाल केवल हिन्दी माध्यम के विद्यालयों का नहीं बल्कि हिन्दी माध्यम से अंग्रेजी विद्यालयों में तब्दील हुए महात्मा गांधी विद्यालयों का भी है, जहां क्रमोन्नत हुए कई विद्यालय बगैर संस्था प्रधानों के संचालित हो रहे है। स्थानीय और बोर्ड परीक्षायें नजदीक है, ऐसें में बगैर धणी-धौरी के चल रहे इन विद्यालयों के बच्चों का शैक्षणिक स्तर और परीक्षा परिणाम क्या होगा, इसका बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है। विद्यालयों की इस स्थिति में सुधार को लेकर शिक्षा विभाग के जिला अधिकारी मौन हैं और कुछ भी कहने से बच रहे है।