बीकानेर। आज दिव्यांग सेवा संस्थान में समाजसेवी लेखक क्रांतिकारी ज्योतिबा फुले की जयंती मनाई गई संस्थान के बच्चों ने पुष्प अर्पित कर नमन किया । संस्था प्रधान जेठाराम ने साइन लैंग्वेज में कहाँ की ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र में हुआ जिन्होंने दलित उत्थान व नारी शिक्षा के लिए जीवन पर्यंत संघर्ष किया महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने और युवाओं के बीच शिक्षा को आगे बढ़ाने के प्रति जुड़ी कई बातों पर पुरजोर दिया संस्थान का कर्तव्य होता है कि ऐसे बच्चों के बीच में समाजसेवी स्वतंत्रता सेनानी महापुरुषों की जीवनी बताने से इनके जीवन से प्रेरणा मिलती है जिससे वे अपने जीवन में डालेंगे विचारों को ग्रहण करेंगे अपने जीवन में अपनाएंगे ।
विशेष अध्यापक भरत शर्मा ने कहा कि ज्योतिबा फुले ने भारत से दास्तां को मिटाने के लिए पूर्व जोर प्रयास किया वह हिंदू समाज में व्यापक पाखंड और बनावटी सिद्धांतों के विरोधी थे
अतिथि अध्यापक रोहिताश कांटिया ने कहां की दलितों और निर्बल वर्ग को न्याय दिलाने के लिए ज्योतिबा ने ‘सत्यशोधक समाज’ स्थापित किया। उनकी समाजसेवा देखकर 1888 ई. में मुंबईकी एक विशाल सभा में उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दी। ज्योतिबा नेब्राह्मण-पुरोहितके बिना ही विवाह-संस्कार आरंभ कराया और इसे मुंबई हाईकोर्ट से भी मान्यता मिली। वे बाल-विवाह विरोधी औरवि धवा-विवाहके समर्थक थे। वे लोकमान्यके प्रशंसकों में थे। भवरलाल पुजारी, श्रवण परिहार आदि मौजूद थे।