नई दिल्ली। उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रशासन को आठ सुझावों पर अमल करने को हरी झंडी दी। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रशासन को दिए आठ सुझावों के अनुसार, शिवलिंग पर श्रद्धालु 500 मिलीलीटर से ज्यादा जल नहीं चढ़ाएंगे। जल सिर्फ आरओ का होगा। भस्म आरती के दौरान शिवलिंग को सूखे सूती कपड़े से पूरा ढका जाएगा। अभी तक 15 दिनों के लिए शिवलिंग को आधा ढका जाता था।

सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, अभिषेक के लिए हर श्रद्धालु को 1.25 लीटर दूध या पंचामृत चढ़ाने की इजाजत होगी। शिवलिंग पर घी, चीनी का पाउडर लगाने की इजातत नहीं होगी, बल्कि देसी खांड के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा। नमी से बचाने के लिए गर्भ गृह में ड्रायर और पंखे लगाए जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, बेल पत्र और फूल पत्ती शिवलिंग के ऊपरी भाग पर ही चढ़ाए जाएंगे, ताकि शिवलिंग के पत्थर को प्राकृतिक हवा पहुंचने में कोई दिक्कत न हो। शाम पांच बजे के बाद अभिषेक पूरा होने के बाद शिवलिंग की पूरी सफाई होगी और इसके बाद सिर्फ बिना जल के अन्य चीजों से पूजा होगी। सीवर सफाई के लिए चल रही पारंपरिक तकनीक ही चलती रहेगी क्योंकि सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के बनने में लंबा समय लगेगा।

जस्टिस मिश्रा बोले, शिव की कृपा से आखिरी फैसला भी हो गया
बुधवार को रिटायर हो रहे जस्टिस मिश्रा (65) ने मंगलवार को उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर पर आखिरी फैसला दिया। यह फैसला देने के बाद जस्टिस मिश्रा ने अपने साथी जजों से कहा कि शिव की कृपा से ये आखिरी फैसला भी हो गया। उन्होंने मंगलवार को अधिवक्ता प्रशांत भूषण को कोर्ट की अवमानना पर एक रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी।