भगवान शंकर की 350 साल से पूजा कर रहा सेवग परिवार 156 साल से हर साल 150 गणेश की प्रतिमाएं बनाकर बांट रहा है।
ऐसी मान्यता है कि मरुनायक चौक के सेवग परिवार के हाथों से बने इन गणेश को ले जाने पर व्यक्ति की हर मनाेकामना पूर्ण होती है। इसी कारण इस गणेश प्रतिमा को लेने वाले परिवार पहले से ही अपने लिए गणेशजी की प्रतिमा बनाने के लिए निवेदन करते रहते हैं। वर्तमान में यह कार्य 50 साल के बाबली सेवग कर रहे हैं। उन्होंने अपने दो बच्चों को लाल मिट्टी से यह गणेश प्रतिमा बनाने की कला सिखा दी है। उन्होंने अपने पिता व दादा से यह कार्य सिखा था। बाबली सेवग यह कार्य करने वाली चौथी पीढ़ी से है।
बाबली बताते हैं कि उनके यहां यह कार्य कैसे शुरू हुआ यह तो पता नहीं लेकिन लोगों के बीच हमारे घर से बनी प्रतिमा की विशेष आस्था है। इसी आस्था का परिणाम है कि हम यह कार्य पीढ़ी दर पीढ़ी अनवरत रखे हुए हैं। 1865 में सबसे पहले उनके पड़दादाजी ने शहर के बाहर बनी खदानों से लाल मिट्टी लाकर बारिश के पानी से इसे बनाने का काम शुरू किया। अब भी यही विधि अपनाई जाती है। हम बारिश का पानी एक साल पहले एकत्रित कर लेते हैं ताकि सावन आते ही हम प्रतिमाएं बनाने का काम शुरू कर सके। बाबली बताते हैं कि कोई मुफ्त में प्रतिमाएं नहीं लेता इसलिए हम नाम मात्र की राशि लेते हैं वह भी बंद मुट्ठी। किसने कितना दिया यह हम नहीं देखते। बस, सच्ची आस्था व भाव से उसे भगवान गणेश की प्रतिमा सौंपकर, उसकी मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना करते हैं।
तीन साइज में बनाते हैं : सेवग परिवार की तरफ से लाल मिट्टी से बनी प्रतिमाएं तीन साइज में बनाई जाती है। इसमें 9, 13 व 14 इंच की मूर्तियां शामिल है।
जो ले जाए वैसा ही धराया नाम: ऐसी मान्यता है कि लाल मिट्टी के बने सेवग परिवार के गणेश की प्रतिमा गणेश चतुर्थी के दिन घर में लाकर स्थापित करने से शादी योग्य युवक-युवतियों की शादी हो जाती है। इस आस्था से प्रतिमाएं ले जाने वाले इसे बंधन गणेश के नाम से पुकारते हैं। वहीं व्यापार के लिए ले जाने वाले व्यापारी इन्हें करोड़पति गणेश के नाम से घर लेकर जाते हैं।
गणेश महोत्सव के लिए कपिल सरोवर की मिट्टी से तैयार करते हैं मूर्ति
उस्ता बारी के अंदर रहने वाले गौरी शंकर जोशी पिछले कई सालों से मातेश्वरी सदन में गणेश महोत्सव मनाते आ रहे हैं। वे कोलायत की मिट्टी से भगवान गणेश की प्रतिमा अपने हाथों से बनाते हैं और उसे ही पंडाल में सजाकर उसकी पूजा-अर्चना करते हैं।
10 दिन उत्सव के, हर गणेश मंदिर में विशेष आयोजन
शहरभर के गणेश मंदिरों को विभिन्न प्रकार की रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया है। हर ओर उत्साह का माहौल है। पिछले साल ऐसा नहीं हो पाया था। इस कारण श्रद्धालु इस बार पूरे उत्साह के साथ भगवान गजानंद का जन्मोत्सव मनाने की तैयारी पूर्ण कर चुके हैं।
जूनागढ़ स्थित गढ़ गणेश मंदिर के पुजारी श्याम सुंदर आचार्य ने बताया कि दोपहर 12 बजे जन्मोत्सव मनाया जाएगा। भगवान का विशेष शृंगार किया जाएगा। बड़ा गणेश मंदिर में अलसुबह अभिषेक के बाद पूरे दिन दर्शनों का सिलसिला चलेगा। भालचंद्र गणेश में 1100 लड्डूओं का भोग लगाने के साथ जागरण होगा। सट्टा बाजार स्थित गणेशजी में दर्शनों की विशेष व्यवस्था की गई है। कान गणेश के मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया है।
कोठारी कुआं पर सवा लाख पार्थिव गणेश निर्माण का कार्य प्रारंभ होगा। सदाफतेह में भगवान गणेश महोत्सव शुरू होगा। इसी तरह राजूवास परिसर स्थित विजय भवन के करणी माता मंदिर में गणेश महोत्सव 2021 मनाया जाएगा। इस दौरान 17 सितंबर विशेष द्वादश गणेश सामूहिक महाभिषेक कार्यक्रम होगा। पंडित भवानी महाराज व अर्जुन महाराज छंगाणी ने बताया कि 10 सितंबर से 19 सितंबर तक प्रतिदिन अलग-अलग कार्यक्रम होंगे। शुक्रवार को शाम चार बजे गणेश पूजन होगा।
आदि गणेश में पंच कुंडीय यज्ञ शुरू : आदि गणेश मंदिर में दो दिवसीय पंचकुंडीय यज्ञ की शुरूआत गुरुवार को हुई। पंडित राजेंद्र किराड़ू के आचार्यत्व में 21 वेदपाठी ब्राह्मणों द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ आहुतियां दी गई। आयोजन से जुड़े मदन गोपाल व्यास ने बताया कि प्रात: 8 बजे प्रारंभ हुए यज्ञ में यजमान नंदन जोशी, महावीर सोनी, कौशल सोनी, अशोक उपाध्याय, गणेश व्यास, भवानी शंकर पांडिया, गोपाल ने आहुतियां दीं।