बीकानेर। पहले से ही विवादों में घिरा इंजीनियरिंग कॉलेज में अभी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिसके चलते एक ओर नया घोटाला सामने आया है। इस बार कॉलेज प्रबंधन ने सरकार के आदेशों को धता बताते हुए करोड़ों रूपयों का फिर से दुरूपयोग किया है। मामला अंशकालीन व्याख्यता को भुगतान का है। जिसमें बताया जा रहा है कि इंजीनियरिंग कॉलेज को सरकार ने वेतन के नाम पर सात करोड़ रूपये का बजट स्वीकृत किया गया था। सरकार के आदेश में स्पष्ट तौर पर निर्देशित किया था कि इस वेतन से स्थाई कर्मचारियों को भुगतान किया जाएं। लेकिन कॉलेज प्रशासन ने गोलमाल करके कॉलेज में लगे अंशकालीन व्याख्याताओं को भी उस बजट में से वेतन भुगतान किया गया है। मजे की बात तो यह है कि इस बजट का उपयोग उस 18 जनों के लिये किया गया है,जिनकी भर्ती भी संदेह के घेरे में है और ये आज तक स्थाई नहीं हो पाएं है। इतना ही नहीं उनकी जांच एसीबी में विचाराधीन है। इसको लेकर राजूराम चौधरी ने सीएम अशोक गहलोत व तकनीकी शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर इस घोटाले की जांच करने की मांग की है। साथ ही कॉलेज के सभी शैक्षणिक व अशैक्षणिक कर्मचारियों को वेतन दिया जाएं।
ये की है शिकायत
चौधरी ने शिकायती पत्र में अभियांत्रिकी महाविद्यालय में विज्ञापित 40 पदों के अलावा जितने भी कर्मचारी स्थाई नियुक्ति के परिलाभ ले रहे है। उनसे अब तक लिये लाभ का पैसा वापिस महाविद्यालय कोष में जमा करवाएं। अभियांत्रिकी महाविद्यालय में अधिकतर शैक्षणिक कर्मचारियों की भर्ती गैर कानूनी व अंशकालीन रूप में हुई थी। उसके बाद न तो उनके कान्टेक्ट को बढ़ाने के कोई आदेश निकाले गये और न ही किसी को इस बात की भनक लगने दी क्योंकि कॉलेज के सभी प्रशासनिक पदों पर आज दिनांक तक कॉलेज का शैक्षणिक वर्ग रहा है। तीन साल पूरे होने के बाद ही अपने आपको स्थाई मान लिया व अन्य सभी जगह अपने आपको कॉलेज का स्थाई कर्मचारी बताते रहे। जो कि गैर कानूनी है।