रांची। बहुचर्चित चारा घोटाला में झारखंड के डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये की अवैध निकासी पर फैसला आ गया है। रांची स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने आज इस मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को दोषी ठहरा दिया है। हालांकि अभी सजा का एलान नहीं किया गया है। अगर तीन साल से अधिक की सजा होती है तो फिर जमानत नहीं मिल पाएगी। अगर सजा तीन साल से कम की होती है तो जमानत की संभावना बन जाएगी।
रविवार को ही पटना से रांची के लिए रवाना हो गए थे लालू
अदालत के सामने पेश होने के लिए लालू रविवार को ही पटना से रांची के लिए रवाना हो गए थे। रांची पहुंचने पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने एयरपोर्ट पर लालू यादव का जोरदार स्वागत किया। बता दें कि लालू प्रसाद को अब तक करोड़ों रुपये के चारा घोटाले से जुड़े पांच में से चार मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है। चारा घोटाले के चार मामलों- देवगढ़, चाईबासा, रांची के डोरंडा कोषागार और दुमका मामले में लालू प्रसाद को जमानत दे दी गई थी।
जानिए इस घोटाले को कैसे अंजाम दिया गया था
डोरंडा ट्रेजरी से अवैध निकासी मामले में कोर्ट ने लालू सहित 99 आरोपियों को कोर्ट में उपस्थित रहने को कहा है। लालू इसी मामले में जमानत पर अभी बाहर हैं। इस घोटाले में कई चौंकाने वाले मामले सामने आए। जिसमें पशुओं को फर्जी रूप से स्कूटर और मोटरसाइकिल पर ढोने की कहानी शामिल है। मामला 1990-92 के बीच का है।
अफसरों और नेताओं ने फर्जीवाड़ा की नई कहानी ही लिख दी। फर्जीवाड़ा कर बताया गया कि 400 सांड़ को हरियाणा और दिल्ली से स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक ढोया गया। यानी घोटाले में जिस गाड़ी नंबर को विभाग ने पशु को लाने के लिए दर्शाया था, वे मोटसाइकिल और स्कूटर के नंबर निकले। सीबीआई ने जांच में पाया कि कई टन पशुचारा, पीली मकई, बादाम, खल्ली, नमक आदि ढोने के लिए स्कूटर, मोटरसाइकिल और मोपेड का नंबर दिया गया था।
जांच में सामने आया कि 1990-92 के दौरान 2 लाख 35 हजार में 50 सांड़, 14 लाख 4 हजार से अधिक में 163 सांड़ और 65 बछिया खरीदे गए थे। वहीं क्रॉसब्रिड की बछिया और भैंस की खरीद का करीब 84 लाख का भुगतान मुर्रा लाइव स्टॉक दिल्ली के प्रोपराइटर विजय मल्लिक ने की थी। इस घोटाले में हिंदुस्तान लाइव स्टॉक एजेंसी के आपूर्तिकर्ता संदीप मल्लिक पर भी भेड़ और बकरी के लिए 27 लाख 48 हजार रुपए भुगतान करने का आरोप है।
सीबीआई ने कहा था-इसमें मंत्री कर्मचारी सब शामिल
सीबीआई ने जांच में कहा था कि ये व्यापक षड्यंत्र का मामला है। इसमें राज्य के नेता, कर्मचारी और व्यापारी सब भागीदार थे। इस मामले में बिहार के एक और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र समेत राज्य के कई मंत्री गिरफ्तार किए गए थे।