राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय (RTU) के साल 2012 से पहले पासआउट हो चुके स्टूडेंट्स अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। करीब 10 हजार स्टूडेंट्स किसी न किसी सब्जेक्ट में बैक पेपर होने के कारण 8 साल में भी डिग्री पूरी नहीं कर सके। स्टूडेंट्स की याचिका और भविष्य को देखते हुए यूनिवर्सिटी ने इसी वर्ष फरवरी मार्च में मर्सी एग्जाम आयोजित किया था। मर्सी एग्जाम की कुछ परीक्षा हुई थी। लेकिन कोरोना महामारी के कारण परीक्षा बीच में ही स्थगित करनी पड़ी। स्टूडेंट्स को चिंता है कि आखिर कब उनके बचे हुए एग्जाम लिए जाएंगे, ताकि वह डिग्री हासिल कर नौकरी और आगे की पढ़ाई कर सकें।

क्या है मर्सी एग्जाम

यदि किसी कारण से कोई स्टूडेंट तय समय मे सभी विषय पास नहीं कर पाता है तो यूनिवर्सिटी के नियमों के अनुसार ऐसे स्टूडेंट्स के भविष्य को देखते हुए उन्हें एक अतिरिक्त मौका दिया जाता है। यानि 8 साल में डिग्री पूरा करने का समय दिया जाता है। उसमें जो स्टूडेंट डिग्री पूरी नहीं कर पाते हैं उनको यह अतिरिक्त मौका दिया जाता है।

इसके लिए पासआउट स्टूडेंट्स के मर्सी एग्जाम आयोजित किया जाता है। मर्सी एग्जाम में स्टूडेंट बचे हुए पेपर की परीक्षा दे सकता है और डिग्री हासिल कर सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2018 में बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की मीटिंग में साल 2019-20 में मर्सी एग्जाम को पूरा कराने का निर्णय किया गया था। लेकिन साल 2020 खत्म होने वाला है अभी तक मर्सी एग्जाम पूरा नही हुआ है। ये अपने आप में बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के निर्णय का उल्लंघन है।

वर्ष 2012 से पहले के ऐसे स्टूडेंट्स की संख्या 10 हजार से ज्यादा है। यह ऐसे स्टूडेंट हैं जो मर्सी एग्जाम के लिए रजिस्टर्ड हुए थे। आज यह सभी स्टूडेंट अपने भविष्य की ओर देख रहे हैं। एग्जाम ना होने की वजह से इन्हें अपना भविष्य अधर में लटकता दिख रहा है।

स्टूडेंट्स का दर्द

कई स्टूडेंट ऐसे हैं जिनका सिर्फ एक ही विषय में बैक पेपर है। लेकिन उसकी वजह से अभी तक न तो कोई प्रतियोगिता परीक्षा दे पा रहे हैं न ही आगे की पढ़ाई कर पा रहे हैं। परीक्षा आयोजित कराने को लेकर यूनिवर्सिटी के अधिकारी कोई भी जवाब नहीं दे रहे हैं। बचे हुए एग्जाम नहीं होने की वजह से इन स्टूडेंट्स का पूरा साल बर्बाद हो गया।

सामाजिक कार्यकर्ता सुजीत स्वामी ने बताया कि यूनिवर्सिटी प्रशासन पांचवे एवं सातवें सेमेस्टर की परीक्षा के लिए नोटिफिकेशन निकाल रहा है। लेकिन मर्सी बैक वालों के जो एग्जाम बाकी रह गए हैं उसके बारे में कोई सूचना जारी नहीं कर रहा। यह चिंता का विषय है। हजारों स्टूडेंट पहले से ही अपने भविष्य में काफी लेट हो चुके हैं। एक-एक दिन का विलम्ब इनके जीवन को और पीछे धकेल रहा है।

यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक धीरेंद्र माथुर का कहना है कि बची हुई मर्सी परीक्षा के बारे में विचार चल रहा है। पांचवें एवं सातवें सेमेस्टर (मेन-बैक) की परीक्षा के लिए भी राज्य सरकार से पूछा है। उनके उत्तर के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी। मर्सी परीक्षा में बैठने वाले स्टूडेंट्स में अधिकतर कोटा से बाहर हैं। इसी वजह निर्णय लेने में कठिनाई आ रही है। कैसे उनके एग्जाम करवाए जाए, राज्य सरकार से जैसे ही दिशा निर्देश मिलेंगे, जल्द ही मर्सी एग्जाम का निर्णय हो जाएगा।