बीकानेर। साइबर ठगी करने वाले अब न सिर्फ आपसे वन टाइम पासवर्ड लेकर बैंक खातों से रुपए निकाल रहे हैं बल्कि आपसे बातचीत के दौरान ही मोबाइल हेक करके बैंक में रजिस्टर्ड आपके नंबर चैंज कर सकते हैं। बीकानेर के एक साहित्यकार के साथ ऐसी ही ठगी करके पेंशन में मिले रुपए अज्ञात शख्स ने अपने बैंक खाते में ट्रांसफर कर लिए। खास बात ये है कि ये राशि बैंक के बचत खाते से नहीं बल्कि फिक्स्ड डिपोजिट पर लोन लेकर उठा लिए। अब जयनारायण व्यास कॉलोनी में मामला दर्ज कराया गया है।हुआ यूं कि नवनीत पांडे के मोबाइल में चल रहे पेटीएम में गड़बड़ी हो गई। कुछ दिन से काम नहीं कर रहा था। ऐसे में उन्होंने पेटीएम के हेल्पलाइन सेंटर पर बात करने की कोशिश की। इसके लिए गूगल पर पेटीएम हेल्प सेंटर के नंबर सर्च किए। एक नंबर मिला, जिस पर कॉल करके पेटीएम नहीं चलने की जानकारी दी गई। सामने से कहा गया कि थोड़ी देर में आपको कॉल बेक करेगा। कुछ समय बाद उसने पेटीएम से जुड़ी सारी जानकारी मांगी। न तो एकाउंट नंबर मांगे और न कोई ओटीपी की मांग की। बातचीत करते हुए ही संभवत: उसे शख्स ने पांडे के मोबाइल को हैक करके उनके एसबीआई एकाउंट में जाकर पांडे के मोबाइल नंबर की जगह स्वयं के मोबाइल नंबर कर दिए। आमतौर पर ये काम क ाफी मशक्कत के बाद होता है लेकिन हैकर ने ये काम कुछ मिनट में ही कर दिया।
फिर निकाले 4.80 लाख रुपए
इसके बाद हैकर ने एसबीआई एकांउट में सेंधमारी करके वहां से नवनीत पांडे की करीब पांच-छह लाख रुपए की एफडी पर एडवांस लोन स्वीकृत करके सेविंग एकाउंट में डाला। जहां से आसानी से ये रुपए अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए। इस पूरे प्रोसेस में एक बार भी पांडे के मोबाइल पर कोई कॉल नहीं आया। न ही कोई एसएमएस बैंक से आया कि रुपए निकल गए हैं।
ईमेल से खुलासा
दरअसल, एसएमएस के अलावा ईमेल पर भी बैंक से मैसेज आता है कि उनके खाते से कोई ट्रांजेक्शन हुआ है। मेल देखने पर पांडे के होश उड़ गए। उन्होंने एसबीआई की पवनपुरी शाखा पहुंचकर वहां डिटेल ली तो 4.80 लाख रुपए निकल चुके थे। बैंक ने बताया कि उनके मोबाइल नंबर पर ओटीपी से ही रुपए निकले हैं। इस पर पांडे ने मोबाइल नंबर चैक किए तो पता चला कि ये नंबर ही उनके नहीं है।
एफडी से रुपए निकालने का पहला मामला
ये संभवत: पहला मामला है जब किसी कस्टमर की एफडी से ही रुपए निकाल लिए गए हैं। दरअसल, एफडी से सीधे रुपए नहीं मिल पाते, ऐसे में पहले पांडे के सेविंग खाते में रुपए ट्रांसफर किए गए। जहां से रुपए आसानी से अपने खाते में ट्रांसफर किए गए। डबल सिक्योरिटी ये थी कि हैकर ने वो मोबाइल नंबर ही बदल दिए, जिसे कस्टमर ने खाते के साथ रजिस्टर्ड करवा रखे थे।