सीमावर्ती क्षेत्र खाजूवाला से घड़साना तक 60 किलोमीटर की सड़क इस कदर टूटी हुई है कि एक घंटे की इस दूरी काे कवर करने में दाे घंटे से भी ज्यादा समय लग रहा है। बॉर्डर एरिया में इस तरह की सड़क हाेना सुरक्षा के लिए खतरे का संकेत है। क्योंकि इस क्षेत्र में घुसपैठ और मादक पदार्थों की तस्करी की घटनाएं हो चुकी हैं। इस सड़क को भारत माला प्रोजेक्ट के तहत बनाने के लिए बीएसएफ के अधिकारी रविवार को केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल से मिले हैं।
बीएसएफ डीआईजी पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ ने केन्द्रीय मंत्री को बॉर्डर एरिया की सड़कों के हालात बताए। उन्होंंने कहा कि भारत माला प्रोजेक्ट के तहत काफी सड़कें शामिल की गई हैं। इसे भी प्रोजेक्ट में शामिल कर लिया जाए तो बॉर्डर पर जल्दी पहुंचा जा सकेगा। खाजूवाला से घड़साना और अनूपगढ़ जाने के लिए यही एक सड़क है, जाे काफी क्षतिग्रस्त हा़े चुकी है। एक घंटे की दूरी काे कवर करने में दाे घंटे से ज्यादा का समय लग रहा है। बल की गाडियों काे भी नुकसान पहुंच रहा है। इस मार्ग पर बल के साथ साथ आर्मी का भी मूवमेंट रहता है।
पुलिस-परिवहन नहीं लगा पा रहे अंकुश
खाजूवाला, घड़साना और रावला क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जिप्सम और रेत का खनन हाेता है। गाड़ियां ओवरलाेड चलती हैं। इससे सड़कें टूट जाती हैं। बीआरओ के अफसर तक इससे परेशान हैं। खाजूवाला एसडीएम से लेकर जिला कलेक्टर और एसपी तक बात पहुंचा चुके हैं। संबंधित थाना पुलिस का भी काेई अंकुश नहीं है।
दो साल में तीन बार बनी फिर जर्जर हुई
बीआरओ ने खाजूवाला-घड़साना के बीच छह साल पहले सड़क का निर्माण कराया था। अब यह सड़क अगले साल दुबारा बनेगी। बीआरओ के एक अफसर ने बताया कि इस साल निर्माण प्रस्तावित था, लेकिन काेविड के कारण वित्तीय समस्या आ गई थी। दाे साल में तीन बार सड़क की मरम्मत करा चुके हैं। लेकिन भारी वाहनाें की आवाजाही बहुत ज्यादा है।
पहले भारतमाला प्रोजेक्ट में थी सड़क
जानकारों का कहना है कि खाजूवाला से घड़साना तक की सड़क पहले भारत माला प्रोजेक्ट में शामिल थी। जनप्रतिनिधियों की मांग के कारण घड़साना से रूट सत्तासर, पूगल फांटा और दंताैर तक बदल दिया गया। दूसरा कारण यह भी बताया जा रहा है कि चूंकि सड़क बीआरओ के अंडर में है। इसलिएरूट बदला गया है।
^खाजूवाला-घड़साना सड़क काे भी भारत माला जैसा ही बनाया जाएगा। पहले यह रूट में शामिल थी, लेकिन डिफेंस पर्पज और सुरक्षा कारणाें से बीआरओ काे आपत्ति थी, लेकिन अब बीआरओ के अधिकारियों से बात की जाएगी।