जयपुर। परंपरागत व्यवसाय के नाम पर चल रहे मिट्टी की ईंट बनाने वाले भट्टे अब राजस्थान में बंद होने वाले हैं। केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा पिछले साल तय की गई गाइड़लाइन के मुताबिक ईंट भट्टें बंद होंगे। इन्हे बंद कर फ्लाइएश आधारित ब्लॉक, टाइल्स एवं इनसे जुड़ी अन्य इकाईयों में परिवर्तित करने की तैयारी की जा रही है। प्रदेश में 3200 से अधिक ईंट भट्टे वर्तमान मे संचालित हो रहे हैं। इनमें 25 लाख लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला हुआ है। ईंट भट्टों के संचालन में प्रदूषण नियंत्रण के लिए तय मानकों की अनदेखी हो रही है । निर्देश के बावजूद परंपरागत रूप से बिना चिमनी लगाए खुले में ईंटों को पकाया जा रहा है। इससे निकलने वाले विषैले धुंए से आसपास के लोगों में गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद आगरा व दिल्ली के आसपास से बंद हुए ईंट भट्टे राजस्थान के भरतपुर व अलवर जिलों में चलाए जा रहे हैं । इन भट्टों के कारण रिहायसी इलाकों के तापमान में 5 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। सर्दियों के दिनों में तापमान अनुकूल होता है, लेकिन गर्मियों में लोगों का घरों में रहना मुश्किल हो जाता है। घरों में कूलर व पंखों में पसीने छूटते हैं। ईंट भट्टों से निकलने वाली प्रदूषित वायु से प्रदूषण इस कदर फैल रहा है कि आसपास के इलाकों में टीबी और फेंफड़ों से जुड़ी बीमारियां फैलने लगी है।