जयपुर। भवन निर्माण में परंपरागत व्यवसाय के नाम पर चल रहे मिट्टी की ईंट बनाने वाले भट्टे बंद होने जा रहे हैं। केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय एक वर्ष में इन्हें बंद कर फ्लाइएश आधारित ब्लॉक, टाइल्स एवं ईंट उत्पादन इकाइयों में परिवर्तित करने जा रहा है। अब या तो मिट्टी के ईंट भट्टे बंद करने होंगे या उन्हें फ्लाईएश से ईंट निर्माण करने योग्य बनाना होगा। केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ईंट भट्टों को लेकर बनी पुरानी नीति में बड़ा संशोधन करने के लिए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव की अधिसूचना जारी कर दी है। इससे पहले सीपीडब्ल्यूडी ने भी अपनी रिपोर्ट में इन भट्टों को बंद करने की सिफारिश की थी।
केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालयों को केंद्र सरकार ने 14 सितंबर 1999 में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू कर परंपरागत ईंटें यानी रेड क्ले ब्रिक बनाने के लिए उपजाऊ मिट्टी के खनन पर सख्ती से रोक लगा दी थी।
इसके साथ ही कोयला या लिग्नाइट आधारित पॉवर प्लांटों के 300 किमी के दायरे में संचालित रेड क्ले ब्रिक भट्टों में फ्लाइएश के इस्तेमाल की अनिवार्यता लागू की थी, लेकिन राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण यानी एनजीटी की भोपाल बैंच के निर्देश पर वर्ष 2015 में राजस्थान सरकार ने कुम्हारों की आजीविका संरक्षित करने के लिए 15 प्रतिशत फ्लाइएश मिलाकर मिट्टी की ईंटें बनाने की शर्त पर परंपरागत तरीके से बनाए अजावा कजावा भट्टों के संचालन की इजाजत दे दी थी। अब केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पुराने अधिनियमों में हुए बदलावों को पूरी तरह खत्म कर कोयला एवं लिग्नाइट आधारित पॉवर प्लांटों के 300 किमी के दायरे में रेड क्ले ब्रिक बनाने वाले नए ईंट भट्टे स्थापित करने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने और आजीविका संरक्षण के नाम पर संचालित परंपरागत ईंट भट्टों को भी साल भर में बंद करने की अधिसूचना का ड्राफ्ट जारी कर दिया है।
संशोधन प्रस्ताव के मुताबिक ऐसे सभी भट्टों को साल भर के अंदर सख्ती से फ्लाइएश आधारित ईंटों, ब्लॉकों और टाइल उत्पादन इकाइयों में परिवर्तित करना होगा। ड्राफ्ट में मंत्रालय ने फ्लाइएश के इस्तेमाल को बढ़ावा देने का भी प्रस्ताव रखा है। जिसके मुताबिक ही फ्लाइएश का इस्तेमाल करने पर किसी भी उद्योग को फ्लाइएश आधारित उद्योग माना जाएगा। इस अधिसूचना के बाद प्रदेश के भी तीन हजार से अधिक ईंट भट्टों को बंद करना होगा या फ्लाइएश से ईंट तैयार करने के लिए जरूरी बदलाव करने होंगे। इस मामले में खान विभाग के स्तर पर तैयारी की जा रही है।