बीकानेर, मानसून की दो बारिश ने बीकानेर के तालाबों में काफी पानी भर दिया है और अगर सावन में भी जमकर बारिश हुई तो बीकानेर शहर के तालाब लबालब हो जाएंगे। अर्से बाद ये पहला अवसर है जब सावन से पहले हर्षोलाव व सांसोलाव तालाब में इतना पानी आया है। धरणीधर, देवकुंड सागर तालाब में भी अच्छा खासा पानी पहुंचा है। हर्षोलाव व सांसोलाव तालाब में सफाई ढंग से होती तो तालाब में पानी भी साफ होता। मानसून की दो बारिश ने बीकानेर के तालाबों में काफी पानी भर दिया है और अगर सावन में भी जमकर बारिश हुई तो बीकानेर शहर के तालाब लबालब हो जाएंगे। अर्से बाद ये पहला अवसर है जब सावन से पहले हर्षोलाव व सांसोलाव तालाब में इतना पानी आया है। धरणीधर, देवकुंड सागर तालाब में भी अच्छा खासा पानी पहुंचा है। हर्षोलाव व सांसोलाव तालाब में सफाई ढंग से होती तो तालाब में पानी भी साफ होता। प्री मानसून और उसके बाद मानसून में हुई झमाझम बारिश के बाद बीकानेर के सांसोलाव तालाब में पानी पहुंचा। एक वक्त था जब इस तालाब में पानी आता था लेकिन ठहरता नहीं था। इस बार यहां पानी ठहरा भी है। वहीं हर्षोलाव तालाब में बने कमरे तक पानी आ गया है। कुछ दिन पहले जहां मैदान नजर आता था, वहां अब करीब तीन से चार फीट पानी है। किनारे पर तो करीब पंद्रह फीट पानी हो सकता है। अगर एक बार और तेज बारिश हुई तो हर्षोलाव में बने कमरे से ऊपर भी पानी आ सकता है। सुरक्षित आगोर के कारण यहां पानी का फ्लो आज भी काफी तेज रहता है।

काश ढंग से होती सफाई

संभागीय आयुक्त नीरज के. पवन के प्रयासों से इन दोनों तालाबों में श्रमदान हुआ। बड़ी संख्या में लोगों ने पहुंचकर सफाई की। ऐसे में तालाब का समतलीकरण भी हुआ और सफाई भी। इसके बाद यहां नियमित सफाई की जरूरत थी। हर्षोलाव में जिस जगह ज्यादा पानी है, वहां सफाई नहीं हुई। ऐसे में काई ने एक बार फिर पूरे तालाब पर कब्जा कर लिया है। सांसोलाव में श्रमदान के बाद भी कई दिन सफाई हुई लेकिन हर्षोलाव में सिर्फ एक दिन सफाई हुई। संभागीय आयुक्त के प्रयासों को नगर निगम और नगर विकास न्यास फौरी तौर पर निपटा दिया। इसी का नतीजा है कि अच्छी बारिश के बाद भी इस पानी का लुत्फ नहीं उठा पा रहे।

धरणीधर बना पिकनिक स्पॉट

उधर, धरणीधर महादेव मंदिर में पिछले वर्षों में बने तालाब में काफी पानी पहुंचा। ये तालाब भी लबालब हो गया। यहां बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों ने तालाब में स्नान किया। कई युवकों ने गंठे (तालाब में गोता) लगाए। मंदिर प्रबंधन ने कुछ साल पहले ही इस तालाब का पुर्ननिर्माण करवाया था।

सागर में भी पानी

इसके अलावा देवकुंड सागर में भी काफी मात्रा में पानी आया है। देवकुंड सागर की आगोर पर कब्जे होने के कारण पानी कम आया है। वहीं स्वयं तालाब पर ही कई तरह के निर्माण हो गए। ऐसे में इसका पुराना भव्य रूप नजर नहीं आ रहा है। अगर अच्छी बारिश हुई तो देवकुंड सागर भी इस बार लबालब हो सकता है।