नोखा. चिकित्सकीय सुविधा के नाम पर एक ओर प्रदेश सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। वहीं जिला अस्पताल की पुरानी ओपीडी में मरीजों के बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। नोखा सहित आसपास के दर्जनों गांवों से हर रोज करीब 800 से अधिक मरीज इलाज कराने आते हैं। डॉक्टर के इंतजार में मजबूरन मरीजों व परिजनों को फर्श पर बैठकर बारी का इंतजार करना पड़ता है। इस बारे में जिम्मेदारों को भी पता है, लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं है। इतना ही नहीं करीब सप्ताहभर पहले मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष गोपालकृष्ण व्यास ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया था। उस समय मरीजों को फर्श पर बैठा देखकर अस्पताल प्रशासन को उनके बैठने के लिए व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे। साथ ही इसके लिए नोखा में भामाशाहों की कमी नहीं होने की बात भी कही थी। इसके बावजूद जिम्मेदारों ने गंभीरता से नहीं लिया।
लगी रहती है भीड़
जिला अस्पताल में मरीज रजिस्ट्रेशन खिड़की से लेकर फिजिशियन, शिशु रोग, चर्म रोग, सर्जरी विशेषज्ञों की ओपीडी, जांच केंद्र और दवा वितरण केंद्र के सामने मरीजों की भीड़ रहती है। रोजाना सुबह ही यहां मरीजों की कतार लगनी शुरू हो जाती है। मरीज ओपीडी के सामने व अस्पताल गेट पर ही जमीन पर बैठकर अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं।
व्यवस्था कमजोर
कहने व सुनने को लिए तो जिला अस्पताल में मरीजों के बैठने के लिए दो-तीन जगह पर पत्थर की बेंच बनाई है, लेकिन अस्पताल में आने वाले मरीजों की तादाद को देखते हुए यह व्यवस्था नाकाफी है। अस्पताल परिसर में कहीं पर भी मरीजों व परिजनों के लिए बैठने की व्यवस्था नहीं है। मजबूरन जमीन पर बैठना पड़ता है। यहां टिनशेड लगाकर मरीजों के बैठने की व्यवस्था करने की महती जरुरत है।