बीकानेर, सावन मास की अमावस्या काे हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। सदियाें से सनातन धर्म में हरियाली अमावस्या पर पाैधे लगाकर पुण्य कमाने की परंपरा चल रही है। इस दिन मंदिराें में विशेष धार्मिक आयाेजन हाेंगे, लाेग गरीबाें काे दान करेंगे। गाैवंश काे गुड़-चारा खिलाएंगे। पवित्र सराेवर व नदियाें में स्नान करेंगे। मगर, बरसात के माैसम में आने वाली इस अमावस्या पर सबसे अधिक पुण्य मिलता है ताे पाैधे लगाने से। इससे पाैधे लगाने वालाें के उग्र ग्रह शांत भी हाेते हैं। इस पुण्य काे कमाने का गुरुवार काे सबसे बड़ा दिन है। इस दिन सभी को पौधा लगाकर उसे पेड़ बनाने तक संरक्षित करने का संकल्प लेना चाहिए। हमारे शहर के कुछ पर्यावरण प्रेमी हैं जाे वर्षाें से पाैधे लगाकर उसके पेड़ बनाने का पुण्य कमा रहे हैं।

श्री पूर्णेश्वर साेसायटी आज बांटेगी 500 निशुल्क पाैधे
श्री पूर्णेश्वर साेसायटी, भीनासर की ओर से हरियाली अमावस्या पर 500 निशुल्क पाैधाें का वितरण करेगी। इसमें नीम, खेजड़ी, शीशम, नागचंपा, कनेर आदि पाैधे शामिल हैं। इसी तरह फुलवारी के लिए चंपा, चमेली, गुलाब, चांदनी, अमरबेल, गिलाेय आदि के पाैधे भी बांटे जपाएंगे।

तीन किस्सों से जानिए कैसे लोग हरियाली बढ़ाने के लिए प्रतिदिन मना रहे हरियाली अमावस्या
सरकारी काॅलेज में व्याख्याता के पद पर कार्यरत है श्याम सुंदर ज्याणी। पिछले 19 साल से पारिवारिक वानिकी अभियान चला रहे हैं। अब तक प्रदेशभर में करीब 35 लाख पाैधाें काे पेड़ बनाने में सहयाेग कर चुके हैं। गुरुवार काे हरियाली अमावस्या से वे 50 हजार पाैधाें काे पेड़ बनाने के अभियान की शुरूआत करेंगे। ज्याणी कहते हैं कि पाैधा लगाकर अगर पेड़ नहीं बनाना ताे उसे लगाने का काेई औचित्य नहीं है। वे कहते हैं कि हमारे सनातन धर्म में 10 बेटाें के समान एक पेड़ काे माना जाता है। शहर के प्रमुख व्यवसायी नरेश चुग। बिजनेस के साथ दूसरा काम है उनका हरियाली काे बढ़ाना। अब तक एक लाख से अधिक पाैधे अपने रुपए से निशुल्क बांट चुके हैं। इस साल 25 हजार पाैधे बांटने का लक्ष्य है। गुरुवार काे हरियाली अमावस्या के दिन 108 पीपल के पाैधाें का राेपण करेंगे। चुग बताते हैं कि पर्यावरण से हम निशुल्क सांसे ले रहे हैं ताे उसका कर्ज उतारने का एक ही तरीका है पाैधे लगाए और उसे पेड़ बनाने तक संभाले। हम बारिश नहीं ला सकते, मगर हरियाली से बारिश आ सकती है। सरकारी स्कूल में व्याख्याता के पद पर कार्यरत है मदन माेहन छंगाणी। पिछले 22 साल से आगाेर की भूमि काे भूमाफियाओं से बचाते हुए वहां अब तक तीन हजार के करीब पेड़ उगा चुके हैं। उनका कहना है कि पेड़ नहीं हाेंगे ताे आने वाली पीढ़ियाें के लिए हम आपदाताओं के द्वार खाेलते हुए जाएंगे। इस बारिश के सीजन में वे 250 पाैधे और लगाएंगे, जब तक पुराने पाैधे बड़े हाेकर पेड़ नहीं बन जाते, तब तक वे नए पाैधे लगाने पर विश्वास नहीं करते। इसी कारण हर साल सीमित संख्या में पाैधे लगाते हैं।