
बीकानेर, झारखंड में नक्सलियों का सफाया करना हो या फिर कश्मीर में आतंकियों से दो-दो हाथ कर रहे बीकानेर के देवेंद्र सिंह कस्वां को “उत्कृष्ट सेवा पदक” दिया जा रहा है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) में कमांडेंट देवेंद्र सिंह को झारखंड में नक्सलियों का सफाया करने के लिए ये पदक दिया जा रहा है। वो मूल रूप से बीकानेर के श्रीडूंगरगढ़ के सोनियासर गांव के निवासी है। सोमवार को आजादी के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर कस्वां को ये सम्मान दिया जाएगा।
बहादुरी के लिए चर्चित है देवेंद्र
डूंगर कॉलेज के स्टूडेंट रहे देवेंद्र सिंह सीआरपीएफ में अपनी बहादूरी के लिए चर्चित है। “ऑपरेशन विजय” के दौरान एक जवान की मौत हो गई जबकि दूसरा गंभीर घायल हो गया। घायल जवान को तो ले आए लेकिन दूसरे जवान का शव वहीं रह गया। इस पर देवेंद्र सिंह ने गोलीबारी के बीच वापस पीछे मूव किया और शव लेकर आए। इस दौरान जान की बाजी लगाकर खुद शव लेकर आए। इस ऑपरेशन में सीआरपीएफ ने तीन सौ नक्सलियों को खदेड़ दिया था।
झारखंड में किया नक्सलियों का सफाया
देवेंद्र सिंह कस्वा का CRPF में दो दशक का सर्विस रिकॉर्ड गर्व करने लायक है। पहले इन्होंने झारखंड में नक्सलियों का सफाया किया और इन दिनों जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ लड़ रहे हैं। झारखंड में कोबरा बटालियन में 4 साल तक कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन कमांड किए। तब ऐसे मौके भी आए जब देवेंद्र सिंह कस्वा ने जान की परवाह किए बगैर नक्सलवाद को मुंह तोड़ जवाब दिया।
मिल चुका है शौर्य पदक
वर्ष 2016 में देवेंद्र सिंह को राष्ट्रपति की ओर से वीरता के लिए शौर्य पदक दिया जा चुका है। ये पद भी उन्हें कई बार नक्सली क्षेत्रों में वीरता से काम करने और कश्मीर में आतंकियों का सफाया करने के लिए दिया गया। वर्ष 2018 में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर प्रधानमंत्री की उपस्थिति में परेड का नेतृत्व किया। द्वितीय कमान अधिकारी के रूप में प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।
JNVC में रहता है परिवार
बीकानेर की जयनारायण व्यास कॉलोनी में वर्तमान में देवेंद्र सिंह का परिवार रहता है। उनके पिता गिरधारी लाल कस्वां और मां रुख्मा देवी हैं। उनकी दो बेटियां दिव्याशी सिंह व गीतांशी सिंह भी यहीं रहती है। 15 अक्टूबर 1979 को जन्में देवेंद्र सिंह ने बीकानेर के बीबीएस स्कूल से शुरूआती शिक्षा ली जबकि बाद में केंद्रीय विद्यालय में भी पढ़े। डूंगर कॉलेज से बीए की। वर्ष 2002 में CRPF में एसिस्टेंट कमांडेंट बनने के बाद झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ में भी सेवाएं दी। वर्तमान में कमांडेंट के पद पर कश्मीर में तैनात हैं।