बीकानेर : नृत्य नाटिका में देव, गुरु व धर्म के प्रति निष्ठा, भक्ति व समर्पण का साक्षात्कार, पढ़े खबर

बीकानेर। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की साध्वीश्री मृगावतीश्रीजी म.सा,साध्वीश्री सुरप्रियाश्रीजी.व नित्योदयाश्रीजी  के सान्निध्य में रविवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में जैन धर्म, दर्शन, नियम व मर्यादाओं से साक्षात्कार करवाने वाली नृत्य नाटिका ’’जैन शासन के चमकते सितारे’’ प्रस्तुत की गई। बीकानेर मूल की साध्वीश्री सुरप्रियाश्रीजी के निर्देशन में प्रस्तुत इस नृत्य नाटिका में दो दर्जन से अधिक बालक बालिकाओं ने आकर्षक वेशभूषा, भाव भंगिमाओं व संवादों के माध्यम से देव,गुरु व धर्म के प्रतिनिष्ठा व समर्पण रखने वालों से जैन शासन के चमकते सितारों साक्षात्कार करवाया गया। साध्वीवृंद ने प्रसंगानुसार गीतों की प्रस्तुति देकर नृत्य नाटिका के भावों को स्पष्ट किया। नृत्य नाटिका में प्रस्तुति देने वाले बच्चों को श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट व व्यक्तिगत रूप् से धर्मनिष्ठ श्रावकों ने सम्मानित किया। करीब डेढ़ घंटें चली नृत्य नाटिका में बताया गया कि रणकपुर व आबू में भव्य और कलात्मक जैन मंदिर बनाने वाली अनुपमा देवी, शालीभद्र, कुमार पाल, जम्बु कुमार, भरत चक्रवर्ती, कृष्ण महाराजा, अभय कुमार, पुण्यशाली श्रावक, मैना सुन्दरी, भगवान आदिनाथ की पुत्री युगला धर्म का निवारण करने वाली सुन्दरी, सम्पति महाराजा व मुनि भगवंत आदि जैन शासन के सितारों के पात्रों के माध्यम से पांच महाव्रतों सत्य, अहिंसा, अचौर्य, ब्रह््चर्य व अस्तेय का पालन करने, संयम मय जीवन जीने, पापों से बचने व पुण्यों का अर्जन करने, जाने अन्जाने मेंं हुए पापों का प्रायश्चित करने, देव, गुरु व धर्म का सम्मान करने उनके बताएं मार्ग पर चलने का संदेश दिया।
नृत्य नाटिका में बताया गया कि जहरीले चंडकौशिक सांप को भी श्रमण भगवान महावीर ने प्रतिबोद्ध करवाकर पिछला भव याद दिला दिया। जिसमें वह संत था व अत्यधिक क्रोध के कारण सर्प बना। व्यक्ति को जीवन में क्रोध से बचना चाहिए तथा प्रेम, सद््भाव व क्षमा के आभूषण को ग्रहण करना चाहिए। रोहिणी चोर के पात्र के माध्यम से बताया गया कि परमात्मावाणी का एक शब्द भी  व्यक्ति का कल्याण कर सकता है, उसे बुरी आदतों से बचाकर धार्मिक व अच्छा इंसान बना सकता है। काम, क्रोध, लोभ व मोह आदि कषायों से बच कर परमात्मावाणी के प्रति श्रद्धा व विश्वास रखना चाहिए। संयम, समता के साथ अपने आत्म स्वरूप् को पहचानते हुए धर्म-ध्यान करना चाहिए। भगवान महावीर की जय व जय-जय, हर्ष-हर्ष के उद््घोष के साथ चली नाटिका में साध्वीवृंद ने ’’भावे जिनवर पूज्ये, भावे केवल्य ज्ञान’’ आदि प्रेरणादायक गीतों से प्रस्तुति को प्रभावी बना दिया। साध्वीवृंद के सान्निध्य में रविवार को ही सुगनजी महाराज के उपासरे में बच्चों की विशेष क्लास व महावीर भवन में भक्ति संगीत के साथ एकासने का आयोजन हुआ।

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