बीकानेर, यातायात नियमाें की अवहेलना पर चालान कटने से नाराज स्कूली वाहन चालक बुधवार काे अचानक हड़ताल पर चले गए। वे बच्चों को स्कूल छोड़ तो आए लेकिन हड़ताल पर जाने के कारण उन्हें लेने नहीं पहुंच पाए। इससे चार हजार से ज्यादा बच्चाें और उनके परिजनों काे परेशान हाेना पड़ा। छुट्टी हाेने के बाद बच्चे वाहनाें का इंतजार करते रहे। स्कूल से सूचना मिलने पर अभिभावक उन्हें लेने पहुंचे। स्कूली ऑटो चालकों की शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं करने पर पिछले दिनों उच्च अधिकारी की फटकार के बाद बुधवार काे आरटीओ ने जयपुर राेड और गंगाशहर क्षेत्र में सुबह 49 वाहनाें के चालान काटे। दाे दिन से लगातार हाे रही हाे रही कार्रवाई से नाराज वाहन चालकाें हड़ताल कर दी। दाेपहर में स्कूलाें की छुट्टी हाेने पर बच्चाें काे लाने स्कूल नहीं गए। टीचर्स ने वाहन चालकाें से संपर्क किया ताे उन्हें हड़ताल का पता चला। उधर इसका पता चलने पर स्कूलाें से बच्चाें के अभिभावकाें काे फाेन किए गए। इस अव्यवस्था से बच्चाें काे दाे घंटे से ज्यादा परेशान हाेना पड़ा। बच्चाें के कारण टीचर्स भी स्कूलों में रुके रहे।

वाहन चालकाें का आराेप, परेशान कर रहे आरटीओ-पुलिस
स्कूली वाहन चालकाें का कहना है कि चैकिंग के नाम पर परेशान किया जा रहा है। बाल वाहिनी टाइगर यूनियन के अध्यक्ष गाेपाल चाैधरी ने बताया कि काेराेना के कारण ढाई साल तक गाड़ियां नहीं चला सके। गाड़ियाें के टायर व बैटरी डलवाने तक का पैसा नहीं है। फिर भी प्रशासन से वार्ता के बाद ड्राइवरों ने वर्दी, स्कूल का नाम और नंबर तक वाहन पर लिखवा लिए हैं। कागजी कार्यवाही पूरी करने के लिए दाे महीने का समय मांगा था।

बच्चाें काे स्कूल छाेड़ने के बाद आज करेंगे मीटिंग : शहर के स्कूली वाहन चालकाें ने गुरुवार काे गांधी पार्क में मीटिंग बुलाई है। बाल वाहिनी टाइगर यूनियन के अध्यक्ष गाेपाल चाैधरी ने बताया कि स्कूल बच्चाें काे स्कूल छाेड़ने के बाद सभी वाहन चालक गांधी पार्क में जमा हाेंगे। वहां मीटिंग करने के बाद संभागीय आयुक्त से मुलाकात की जाएगी।

स्कूल ने पेरेंट्स को भेजे मैसेज-बच्चों को लाने-ले जाने की व्यवस्था स्वयं करें
वाहन चालकाें की हड़ताल के कारण गंगाशहर क्षेत्र में जैन स्कूल, बाफना स्कूल, विद्या मंदिर के करीब चार हजार बच्चे परेशान हुए। इन्हें छुट्टी हाेने के बाद करीब दाे घंटे तक स्कूल में ही रुकना पड़ा। बच्चों व अभिभावकों को परेशानी से बचाने के लिए कई स्कूलों ने पेरेंट्स को मैसेज किया कि बच्चों को लाने- ले जाने की व्यवस्था स्वयं करें।