भाजपा में बगावत का खतरा

बीकानेर। निकाय चुनाव वर्ष 2014 के बाद वर्ष 2019 में पूरा परिदृश्य बदल चुका है. यह परिदृश्य सरकार और वार्ड दोनों ही स्तरों पर बदल गया है। बीजेपी वार्डों के नए परिसमीन को लेकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर सवालिया निशान रही है. बीजेपी के शहर अध्यक्ष सत्यप्रकाश आचार्य का कहना है कि वर्ष 2011 की जनसंख्या के आधार पर वार्डों का पुनसीमांकन हो चुका था तो फिर से कांग्रेस सरकार ने ऐसा क्यों किया ? कांग्रेस ने अपने वोट बैंक के आधार पर वार्डों का परिसीमन कर दिया है।बीजेपी के सामने शहरों में अपनी सरकार को बचाने की बड़ी चुनौती है। बीजेपी अपने सामने बड़ी चुनौती के रूप में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को मान रही है। बीजेपी का आरोप है कि अभी तक राजस्थान में ऐसा कभी नहीं हुआ है कि पार्षदों के चुनाव के एक सप्ताह बाद निकाय अध्यक्ष और उपाध्यक्षों के चुनाव हुए हों। शहर अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार अपना आंकड़ा बढ़ाने के लिए तमाम तरह की कोशिश करेगी।इसमें बाड़ाबंदी से लेकर डराने धमकाने तक का काम किया जाएगा।

बीजेपी के सामने ये भी हैं बड़ी चुनौतियां
उपचुनाव के बाद कांग्रेस मजबूत स्थिति में आई है।

पूर्व मंत्री की ताल ठोकना।

पिछले 5 वर्षों में महापौर ओर पार्षदों में आपसी खींचतान।

पार्टी में अंसतुष्टों का भी बड़ा धड़ा है. उससे भीतरघात की आशंका है।

पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओ की बजाय चहेतों को टिकट देने की जि़द व दबाव बनाना।

बगावत का खतरा भी बरकरार है
हालांकि पार्टी में निष्ठावान कार्यकर्ता को टिकट के दावेदारों की संख्या ज्यादा होने से बगावत का खतरा बरकरार है। उसे थामना अर्जुन और उनकी टीम के सामने बड़ी चुनौती होगी. अगले 6 दिन बीजेपी के लिए खासे निर्णायक होंगे। पार्टी 1 नवंबर तक प्रत्याशियों के पैनल तैयार करेगी। नामांकन की आखरी तारीख 5 नवंबर है और 16 नवंबर को मतदान होगा। चुनाव प्रक्रिया में वक्त इतना कम है कि पार्टी में आपाधापी मची है। विधायकों से लेकर जिलाध्यक्षों तक के हाथ पांव फूले हुए हैं। देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी अपने शहरी किलों को कांग्रेसी आक्रमण से कितना महफूज रख पाती है।

 

 

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