राजस्थान

राजस्थान आर्कियोलॉजी एण्ड एपिग्राफी काँग्रेस का समापन

आज राजस्थान आर्कियोलॉजी एण्ड एपिग्राफी काँग्रेस के प्रथम अधिवेषन के द्वितीय दिवस के अन्तर्गत व्यास कॉलोनी स्थित इन्सटीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, बी.जे.एस रामपुरिया जैन कॉलेज के समापन सत्र पर कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रो. ललित पंाडे ने कहा कि राजस्थान आर्कियोलॉजी एण्ड एपिग्राफी काँग्रेस राजस्थान ही नहीं समग्र भारत में अभिलेखीय अध्ययन की एक नई धारा की ओर अग्रसर होगी तथा इतिहास के इतर यह संस्था नए नए विषयों को उजागर करने का सार्थक प्रयास करेगी। इसी क्रम में अपना वक्तव्य रखते हुए डॉ. मुरारी लाल शर्मा ने कहा कि इतिहास अध्ययन के साथ-साथ अभिलेखीय और पुरालेखीय अध्ययन के विषय में इस नवाचार से शोध जगत को नए आयाम प्राप्त होगें। अधिवेषन के अध्यक्ष प्रो. बीएल भादानी ने कार्यक्रम की रूपरेखा को प्रस्तुत करते हुए कहा कि बीकानेर में फोसिल्स म्यूजियम स्थापित करने के लिए राज्य सरकार से माँग की जाएगी। अधिवेषन के समापन अध्यक्ष डॉ. गिरिजा शंकर शर्मा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि बीकानेर प्राचीन काल से ही इतिहास अध्ययन की कर्म स्थली रहा है और इस काँग्रेस के प्रथम अधिवेषन से यह स्पष्ट है कि अब इतिहास को और अधिक सूक्ष्म दृष्टि से एवं तथ्यों के साथ समझा जा सकेगा।

इससे पूर्व दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। तृतीय सत्र की अध्यक्षता श्री श्याम महर्षि ने की, जिसमें उदयपुर संभाग से पधारे डॉ. अरविन्द कुमार ने उदयपुर के जावर माता के मंदिर पर प्रकाष डाला। श्री गणेष बैरवाल ने शेखावटी के विभिन्न स्थानों के प्रतीकों का प्रदर्षन करते हुए कहा कि इस मंदिर को पुरातत्व की दृष्टि से दर्षनीय स्थल बनाने की आवष्यकता है। इसी क्रम में श्री हंसमुख सेठ ने चन्द्रावती की खुदाई से मिले मूर्ति प्रतीकों को प्रदर्षित किया। मनीष श्रीमाली ने मेवाड़ में दो अज्ञात सती लेख और महाराणा प्रताप विषय पर अपनी बात रखी। इसी क्रम में नारायण पालीवाल डॉ. याकूब अली और डॉ. जिब्राइल ने अपने महत्वपूर्ण शोधपत्रों का वाचन किया।

चौथे सत्र की अध्यक्षता डॉ. याकूब अली एवं प्रो. नारायण सिंह राव ने की। इस सत्र में प्रो. मदन लाल मीणा ने शैलचित्रों पर प्रकाष डाला। हैदर सैफ ने ऐतिहासीक बोनली किले पर अपनी बात रखी। डॉ. महेन्द्र सिंह ने सीलोर गाँव के ऐतिहासिक धरोहरों पर प्रकाष डाला। श्री षिव रतन यादव ने सतीप्रथा से जुडे़ षिलालेखों का विवरण दिया। इसी क्रम में डॉ. मेघना शर्मा ने हडप्पाकालीन अवषेषों में नारी चित्रण के बारे में बताते हुए उस समय के नारी गौरव का उल्लेख किया। डॉ. नितिन गोयल ने जल संरक्षण पर अपना पत्र प्रस्तुत किया। डॉ. फारूख ने बीकानेर के नौगजा-पीर के ऐतिहासिक महत्व को उजागर किया। अंत में महेन्द्र पंचारिया ने समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रषस्ती पर अपना पत्र प्रस्तुत किया।

डॉ. नमामी शंकर आचार्य, डॉ. राजषेखर पुरोहित और डॉ. उमा दुबे, डॉ. गोपाल व्यास, डॉ. मुकेष हर्ष, डॉ. महेन्द्र पुरोहित, डॉ. महेन्द्र पंचारिया आदि ने विषेष सहयोग प्रदान किया। इस अवसर पर श्री नृसिंह लाल किराडू को इतिहास नायक’, डॉ. राजेन्द्र कुमार व्यास को ‘टैस्सीटोरी श्री’, श्री गणेष बैरवाल को ‘कनिंघम श्री’ और डॉ. सफिया खान को ‘इतिहास श्री’उपाधि प्रदान करते हुए अभिनन्द पत्र भेंट किया गया। अधिवेषन को गरिमामय बनाने के लिए डॉ. पंकज जैन, श्री श्याम महर्षि, श्री पृथ्वीराज रतनू, श्री ऋषि कुमार आचार्य, महाराजा रायसिंह ट्रस्ट और सिस्टर निवेदिता कन्या महाविद्यालय को आभार पत्र भेंट किया गया। कार्यक्रम में डॉ. पंकज जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। पूरे सत्र का संचालन सचिव डॉ. रीतेष व्यास ने किया।