बीकानेर. बीकानेर पुलिस सो रही है। यह हम नहीं, शहर में हो रही चोरी, छीना-झपटी और लूट जैसी वारदातें इसकी कहानी कह रही हैं। पुलिस की इसी नींद का असर है कि बीकानेर में रातों में सफर करना अब आसाना नहीं रहा। खासतौर से जब आप पैदल हों तब। दरअसल, रात के इसी अंधियारे-उजाले के बीच कहीं किसी गली-नुक्कड़ या फ्लाइओवर के नीचे कोई आपको रोक सकता है। आपके पास मौजूद नकदी सामान छीन सकता है। मोबाइल पर बात करते जा रहे हों, तो मोबाइल ही उड़ा लेता है। पिछले कुछ दिनों या यूं कहें कि लगभग पखवाड़े भर से शहर के विभिन्न हिस्सों खास कर कोटगेट, नयाशहर और सदर थाना इलाके से ऐसी कई वारदातें सुनने को मिली हैं, जिसमें किसी का पर्स छीन लिया गया। किसी का मोबाइल छीन लिया गया या किसी से शराब पीने के नाम पर नकदी छीन ली गई।

पैदल हुए तो आसान शिकार, बाइक से हुए तो पीछा

देखने में आया है कि यह लुटेरे अपना मुंह ढके होते हैं। पैदल जा रहे लोग इनके खास निशाने पर रहते हैं। किसी सुनसान सड़क के किनारे अंधेरे में खड़े होकर शिकार का इंतजार करते हैं। जैसे ही कोई पैदल या बाइक सवार आता है, उसे रोककर नकदी व गहने लूट लेते हैं। इनके रात को पुराने शहर और हॉस्पीटल तथा रेलवे स्टेशन के आस-पास खुली रहने वाली दुकानों पर ठिकाने हैं। जहां पर रातभर बैठे रहते हैं और वारदात करने के बाद लौट आते हैं। ज्यादातर वारदातें रात 2 बजे से सुबह 5 बजे के बीच करते हैं। इसके अलावा अगर कोई बाइक से भी जा रहा होता है, तो उसे भी शिकार बनाते हैं। बस अंतर इतना ही है कि उसका ये एक-दो किलोमीटर या फिर कुछ दूरी तक पीछा करते हैं और जैसे ही सुनसान इलाका मिलता है, उसे लूट लेते हैं।