श्रीगंगानगर (सूरतगढ़), श्रीगंगानगर में पानी की मांग पर किसानों ने सूरतगढ थर्मल पावर प्लांट का घेराव कर लिया है। हजारों किसान प्लांट के चारों तरफ जुट गए हैं। सैकड़ों ट्रैक्टरों में हजारों किसान यहां जुटे हुए हैं। इलाके के किसान लम्बे समय से सिंचाई के पानी की मांग कर रहे हैं। इसी को लेकर थर्मल प्लांट का शनिवार को घेराव कर लिया गया। बड़ी संख्या में किसानों ने थर्मल के गेट पर सभा की। इस दौरान महिलाएं भी मौजूद रही। आसपास के गांवों से बड़ी तादाद में किसान ट्रैक्टर ट्रालियों और गाड़ियों में भरकर थर्मल गेट पर पहुंचे। किसानों के थर्मल घेराव के ऐलान के बाद पुलिस और स्थानीय प्रशासन भी पूरी तरह मुस्तैद है।
धरना स्थल पर वार्ता की मांग
कार्यपालक मजिस्ट्रेट सूरतगढ तहसीलदार हाबूलाल मीणा और सूरतगढ डीएसपी शिवरतन गोदारा, डीएसपी विक्की नागपाल स्थिति पर नजर बनाए हुए थे। माइनर निर्माण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों से दोपहर 2 बजे प्रशासन ने वार्ता की पेशकश की। जिसे किसान नेताओं ने ठुकरा दिया। इसके बाद किसान नेताओं ने जिला कलेक्टर से वार्ता करने की मांग रखी। इस पर प्रशासनिक अधिकारियों ने जिला कलेक्टर से वर्चुअल बैठक की बात कही। लेकिन किसान नेता धरनास्थल पर ही वार्ता की मांग दोहराते रहे।
राज्य सरकार पर समझौता उल्लघंन का आरोप
इससे पहले आज की बैठक को भाजपा के पूर्व विधायक अभिषेक मटोरिया, किसान मजदूर संघर्ष समिति के रणजीत सिंह राजू, सन्तवीर सिंह मोहनपुरा, ओम राजपुरोहित, मोहन पूनिया, राकेश बिश्नोई, रामू छिम्पा, कॉमरेड लक्ष्मण शर्मा, नरेंद्र घिंटाला और अन्य ने संबोधित किया। वक्ताओं ने राज्य सरकार पर पूर्व में हुए समझौते के उल्लघंन के आरोप लगाए।
2 जुलाई को कोल लाइन कब्जा करने की घोषणा
एटा-सिंगरासर माईनर निर्माण आंदोलन के दौरान शाम को किसान वार्ता की संभावना न होते देख थर्मल के घेराव के लिए नारेबाजी करते हुए सभा स्थल से रवाना हुए। प्लांट के दो नंबर गेट पर जमकर प्रदर्शन के बाद पुलिस अधिकारियों शिवरतन गोदारा, विक्की नागपाल, रामकुमार लेघा, पवन चौधरी के द्वारा काफी देर तक समझाइश के प्रयासों के बाद किसान सभा स्थल वापस लौट आए। इससे प्रशासन को कुछ राहत महसूस हुई। लेकिन इसके बाद किसानों ने सभा स्थल से की अनिश्चितकालीन धरने की घोषणा कर दी। प्रशासन को जल्द मांगे पूरी नहीं होने पर अल्टीमेटम भी दे दिया कि 2 जुलाई को प्लांट की कोल लाइन पर कब्जा करेंगे। यह घोषणा संघर्ष समिति के संयोजक राकेश बिश्नोई ने की।
फिर छा सकता है बिजली संकट
गौरतलब है कि सूरतगढ़ थर्मल की कुल 8 इकाई हैं। जिनसे कुल 2820 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। थर्मल से बिजली उत्पादन में रोजाना 35000 टन कोयले की आवश्यकता होती है। यदि किसानों द्वारा रेल की पटरी को जाम किया जाता है, तो थर्मल में कोयले की सप्लाई प्रभावित होगी जिससे पूरे राजस्थान में बिजली संकट छा सकता है।
ये है किसानों की मांग
किसानों का कहना है कि आश्वासन के बाद भी सिंचाई के लिए पानी नहीं दिया जा रहा है। कानौर हेड से ऐटा सिंगरासर माइनर नहर निकाली जाए, ताकि 54 गांवों के किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिल सके। किसानों का कहना है कि इनके पास खेती के अलावा आय का और कोई साधन नहीं है। पीने का पानी भी खारा है।
यूं चला किसानों का संघर्ष
जून 2016 में कानौर हेड पर धरना-प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शन के दौरान पुलिस से झड़प हो गई थी। भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने फायरिंग कर दी थी, जिसमें 5 किसानों को गोली लग गई थी। 12 जून को भाजपा सरकार के अतिरिक्त शासन सचिव शिखर अग्रवाल से लिखित समझौता किया गया था। जिसमें अग्रवाल ने कहा कि नहर की मरम्मत के बाद सर प्लस पानी को सिंचाई के उपलब्ध करवाया जाएगा। इंदिरा गांधी नहर में सर प्लस 1250 क्यूसेक पानी सर प्लस हो गया। इसके बावजूद सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं कराया गया था।
जून 2017 में फिर कानौर हेड में किसानों द्वारा प्रदर्शन किया गया था। इस दौरान सरकार ने वार्ता के दौरान नहर से सिंचाई का पानी देने से इनकार कर दिया था। क्योंकि पानी की उपलब्धता कम थी। साथ ही किसानों को आश्वासन दिया गया था कि ऐटा सिंगरासर माइनर के तहत कृषि कनेक्शन दे दिए जाएंगे। किसानों को अपने स्तर बोरवेल करवाने पड़ेंगे। 2500 से अधिक किसानों को कृषि कनेक्शन दे दिए गए था।
जून 2018 में सिंचाई के पानी के लिए वापस मांग शुरू कर दी। सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट पर विरोध प्रदर्शन किया गया था। करीब 6-7 दिन धरना चलने के बाद प्रशासन से वार्ता हुई। जिसके बाद आश्वासन देकर धरना स्थगित करवा दिया गया था।
जून 2019 में नहर से सिंचाई के पानी की मांग वापस उठी। 10 दिन किसान सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट के सामने धरने पर बैठे रहे। जिसके बाद आश्वासन देकर धरना समाप्त करवा दिया। जिसमें कहा गया कि नहर की रीलाइनिंग चल रही है। इसके बाद सरप्लस पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध करवाया जाएगा। जिसके बाद नोहर-भादरा क्षेत्र को सरकार ने कमांड घोषित किया है। लेकिन ऐटा सिंगरासर माइनर को सरकार ने कमांड घोषित नहीं किया। जिसके चलते यहां के 54 गांव व तीन तहसीलों के किसानों में रोष है।
जून 2022 तक भी ऐटा सिंगरासर माइनर सिंचाई का पानी नहीं मिलने पर आज किसान फिर एकजुट हुए है। इससे पहले किसानों ने सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट को ठप करने की चेतावनी दी थी। इसके बाद 25 जून को थर्मल पावर का घेराव कर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठक गए। जिसके बाद 2 जुलाई को कोल रेलवे लाइन को जाम करने की चेतावनी दे दी।