राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले गरमाया किसान कर्जमाफी का मुद्दा

जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले किसान कर्जमाफी का मुद्दा गरमा गया है। कर्ज नहीं चुकाने के कारण राज्य के 10 हजार से ज्यादा किसानों की जमीन नीलाम करने की प्रक्रिया चल रही है। किसान कर्ज माफी को लेकर भाजपा जहां कांग्रेस सरकार को घेर रही है। वहीं, अशोक सरकार का कहना है कि राज्यपाल कलराज मिश्र और केंद्र सरकार के कारण सभी किसानों का कर्ज माफ नहीं हो पा रहा है। सीएम गहलोत के बाद अब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि सरकार ने 31 अक्टूबर, 2020 को किसान की पांच एकड़ तक की जमीन को नीलामी या कुर्की से मुक्त करने को लेकर सिविल प्रक्रिया संहिता राजस्थान संशोधन विधेयक, 2020 विधानसभा में पारित करवाया था। इस विधेयक के साथ ही केंद्रीय कृषि कानूनों को बाईपास करने के लिए तीन विधेयक भी पारित कर मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजे गए थे, लेकिन राज्यपाल ने चारों विधेयकों को मंजूरी नहीं दी है। राज्यपाल यदि विधेयक को मंजूरी दे देते तो पांच एकड़ तक भूमि के मालिकों को राहत मिल जाती। उधर, करीब 35 लाख किसानों पर 60 हजार करोड़ का राष्ट्रीयकृत बैंकों का कर्ज बकाया है। इन बैंकों ने कर्ज वसूली की प्रक्रिया शुरू की है।

सरकार का दावा 14 हजार करोड़ का कर्ज माफ किया

राज्य के सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना का कहना है कि सरकार ने सहकारी बैंकों के 14 हजार करोड़ के कर्ज माफ किए हैं। इससे करीब 25 लाख किसानों को लाभ हुआ है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्ज माफ करने को लेकर केंद्र सरकार से कई बार आग्रह किया जा चुका है। राष्ट्रीयकृत बैंकों का कर्ज माफ करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। हालांकि सीएम गहलोत ने शुक्रवार को नीलामी पर रोक लगा दी है, लेकिन अब यह सवाल उठने लगा है कि जब राष्ट्रीयकृत बैंक राज्य सरकार के अधीन नहीं है तो फिर इनकी वसूली पर कैसे रोक लगाई जा सकती है। डोटासरा का कहना है कि उपखंड अधिकारियों की अनुमति के बिना नीलामी नहीं हो सकती है। ऐसे में सरकार ने इन्हें नीलामी की मंजूरी नहीं देने के निर्देश दिए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *