बीकानेर। सरकार द्वारा मनोनीत पार्षद अपने आका गहलोत को मार्गदर्शक मानते हुवे कलह व क्लेश का रास्ता पकड़ लिया है। मुख्यमंत्री के सलाहकार की भावनाओ के अनुरूप ही चलते हुवे कांग्रेस से चुनाव जीत कर आने वाले पार्षदों से अलग हट कर अपने स्वयं का समूह बना लिया है। इस समूह के शुरुवाती एक्शन में 12 मनोनीत पार्षदों में से 10 एक राय होकर नगर निगम आयुक्त के पास पहुंच कर एक स्वर में कहा कि उनके वार्डो में भी सड़के टूटी है, नालियां जर्जर पड़ी है लाइट नहीं जलती है। लेकिन उनके पास ऐसा कोई साधन नहीं जिससे जनता की मांग पूरी की जा सके। इसके लिए मनोनीत पार्षदों का कोटा (बजट) तय किया जाये। मनोनीत पार्षदों के तरफ से जारी बयान में बताया गया है कि महापौर सुशीला कँवर आयुक्त नगर निगम ने उनकी बात को ध्यानपूर्वक सुना व उनकी मांग पर जल्द निर्णय लेने की बात कही है। समूह की मांग से स्पष्ट होगया कि बीकानेर में निगम जनहित के कार्यो से अनभिज्ञ है। साथ ही कांग्रेस के चुने हुवे पार्षदों के साथ भाजपा के पार्षद भी अपने क्षेत्र की सड़क, नाली के रखरखाव के लिए असफल रहे है। मनोनीत पार्षदों का व्यक्तिगत कोई वार्ड नहीं होता पर मनोनीत पार्षदों ने अपने अपने वार्डो की बात रख कर यह सिद्ध करने की कोशिश की है कि उनके वार्ड के पार्षद अपने क्षेत्र में कार्य नहीं करवा सके इसलिए मजबूर हो कर उन्हें यह मांग उठानी पड़ी है। अपने कार्यकाल के ढाई साल पुरे करने के बाद इन पार्षदों का मनोनयन किया गया। अब सरकार अपने कार्यकाल के 3 साल पुरे करने को है और उनके द्वारा मनोनीत पार्षद अपने बजट की बात मनवाने के लिए नगर निगम हॉउस की बैठक रखने की मांग की है। वैसे भी कांग्रेस नगर निगम के दो साल के कार्यकाल पुरे करने जा रही है। परन्तु आज तक अपने दल का गठन कर प्रतिपक्ष नेता के नाम की मुहर नहीं लगा पाये है। इस बीच सरकार के दो प्रभारी मंत्री साले मोहम्मद व गोविंद सिंह डोटासरा जो की आज भी कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष है परन्तु बीकानेर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष का फैसला नहीं कर पाए। अब ये देखना है कि आने वाले नए प्रभारी मंत्री इस कार्य को अंजाम कैसे दे पाते है या नहीं ?