बीकानेर। कांग्रेस कलह व क्लेश की पार्टी की पहचान बनाने में लगी है। जबकि इस पार्टी की राष्ट्रीय नेता सोनिया गांधी अपनी सास देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अंतिम इच्छा को ध्यान में रखते हुवे अपने इकलौते पुत्र राहुल गांधी को कांग्रेस के बैनर तले देशवासियो की सेवा, भारत की एकता, अखंडता को अक्षुण बनाये रखने के लिए पार्टी का नेतृत्व करने के लिए आगे किया है। वहीं राजस्थान में सोनिया गांधी के विचारो से अलग हटकर पार्टी व सत्ता का नेतृत्व किसी न किसी तरिके से विवाद खड़े करवाने में लगा रहता है। आलाकमान के हस्तक्षेप से राज्य सरकार के मुखिया ने नए मंत्रिमंडल का गठन किया उसके परिणाम स्वरुप किसी सरकार के मुखिया द्वारा एक या दो नहीं एक साथ 6 विधायकों को अपना सलाहकार बनाकर उन्हें मंत्री का दर्जा दिया गया। उसमे से एक सलाहकार निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा बनते ही अपनी पहली सलाह से सलाहकार ने तो कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व उपमुख़्यमंत्री सचिन पायलट पर सीधा हमलावर बन अपने बयानों से कांग्रेस हाईकमान के प्रयासों से हो रही मजबूती को रोकने का काम किया है। कहने को तो सलाहकार रामकेश मीणा ने पायलट के खिलाफ बयान दे कर नये सरीके से विवाद खड़ा करने का प्रयास किया है। परन्तु इन बयानों से हाईकमान को भी घेरने का काम किया है। सलाहकार रामकेश मीणा के बयानों में स्पष्ट कहा गया है कि सचिन पायलट ने पार्टी हाईकमान को गुमराह करके बसपा व अन्य विधायकों जिन्होंने कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवारो को हराकर व्यकितगत तौर पर गहलोत सरकार को समर्थन देने वाले विधायकों को मंत्रिमंडल में सरिक होने से रुकवाया। इन बयानों से स्पष्ट लगता है कि कांग्रेस हाईकमान को भी गहलोत की तरह सलाहकारों की जरूरत है। ताकि कांग्रेस के अधिकृत उमीदवारो को हराकर आने वाले तथाकथित नेताओ के सहारे कांग्रेस की सरकार बना कर कांग्रेस संगठन को कमजोर किया जा सके।