कल्ला राजनीती का खेल मैदान बना दफ्तरी स्कूल

बीकानेर। शहर के अंदरूनी क्षेत्र की स्कूल के मुद्दे को लेकर उग्र आंदोलन चलाई जाने की बात की जा रही है। यह बात पूर्व उपमहापौर अशोक आचार्य के नाम से सामने आई है। किसी शिक्षण संस्था के नाम पर मामला उग्र होता है तो ये शांति प्रिय शहर के लिए अमंगलकारी ही होगा। वैसे इस मामले को लेकर शिक्षा विभाग को गंभीरता पूर्वक निर्णय ले लेना चाहिए था इस मामले को लेकर पूर्व महापौर के नेतृत्व में आंदोलन किया गया तब शिक्षा विभाग के अधिकारियो व आंदोलनकारियों की वार्ता से मामले पर चुप्पी साध ली गई। आज जब शिक्षा के लिए न्य सत्र शुरू हो चूका है उसके बाद स्कूल ईमारत को लेकर बवाल खड़ा करना एक सोची समझी साजिश ही समझी जा सकती है। इस स्कूल का प्रकरण नया नहीं है परन्तु स्कूल इमारत को लेकर अदालत में इसे खाली करने का आदेश दे दिया गया अब शिक्षा विभाग अदालत के आदेश के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपनी स्थति स्पष्ट करने या फिर संबधित अदालत के आदेश पर तत्काल खाली करने को लेकर राज्य सरकार से मार्गदर्शन ले सकती थी परन्तु ऐसा न कर मामले को अनसुलझा कर रख दिया। वैसे भी आंदोलन के नाम पर राजनीतिकरण होता जा रहा है। इस स्कूल प्रांगण का मालिकाना ऐसे व्यक्ति का है जिसका सबंध भी सत्तारुढ पार्टी से है। बीकानेर का नेतृत्व केबिनेट मंत्री डॉ. बी.ड़ी. कल्ला के जिम्मे है। पूर्व उपमहापोर अशोक आचार्य परिवार के सम्बन्ध भी कल्ला से बुरे नहीं है। स्कूल इमारत का मालिक कल्ला के नजदीक लोगो में से एक है। ऐसे में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चो के नाम पर की जा रही राजनीती समझ से परे है। इन तथाकथित नेताओ की दिशाहीनता से स्कूल में पढ़ने वाले बच्चो का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है।

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